________________
१२०२
भगवती सूत्र-श. ७ उ. ९ रथमूसल संग्राम ।।
संग्राम कहा गया है।
१० प्रश्न-हे भगवन् ! रथमसल संग्राम में कितने लाख मनुष्य मारे गये ?
१० उत्तर-हे गौतम ! छयानवे लाख मनुष्य मारे गये। ..
११ प्रश्न-हे भगवन् ! निःशील (शील रहित.) यावत् वे मनुष्य मरकर कहाँ गये, कहाँ उत्पन्न हुए ?
११ उत्तर-हे गौतम ! उनमें से दस हजार मनुष्य तो एक मछली के उदर में उत्पन्न हुए। एक मनुष्य देवलोक में उत्पन्न हुआ, एक मनुष्य उत्तम कुल (मनुष्य गति) में उत्पन्न हुआ और शेष प्रायः नरक और तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न हुए।
१२ प्रश्न-कम्हा णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया, चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियरण्णो साहेज दयित्था ? __ १२ उत्तर-गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया पुव्वसंगइए, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया परियायसंगइए; एवं खलु गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया, चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया कूणियस्स रण्णो साहेजं दलयित्था ।
कठिन शब्दार्थ-साहेग्ज-सहायता, परियायसंगइए-पर्याय-तापस दीक्षा के साथी ।
भावार्थ-१२ प्रश्न-हे भगवन् ! देवेन्द्र, देवराज शक्र . और असुरेन्द्र, असुरकुमारराज चमर, इन दोनों इन्द्रों ने कोणिक राजा को किस कारण से सहायता दी?
१२ उत्तर-हे गौतम ! देवेन्द्र, देवराज शक्र तो कोणिक राजा का पूर्व संगतिक (पूर्वभव सम्बन्धी अर्थात् कार्तिक सेठ के भव में) मित्र था और असु
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org