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________________ भगवती सूत्र - 5. ७ उ. १ रथमूसल संग्राम ९ प्रश्न - से केणणं भंते ! एवं बुच्चइ रहमुसले संगामे ? ९ उत्तर - गोयमा ! रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए, असारहिए, अणारोहए, समुमले, महया जणक्खयं, जणवहं, जणप्पमदं, जणसंवद्रकप्पं रुहिरकद्दमं करेमाणे सव्वओ समता परिधा वित्था, से तेणट्टेणं जाव रहमुसले संगामे । १० प्रश्न - रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कह जणसयसाहसीओ वहियाओ ? १० उत्तर - गोयमा ! छष्णउडं जणसयसाहस्सीओ वहियाओ ? १२०१ ११ प्रश्न - ते णं भंते ! मणुया णिस्सीला जाव उववण्णा ? ११ उत्तर - गोयमा ! तत्थ णं दससाहस्सीओ एगाए मच्छीए कुच्छिसि उववण्णाओ, एगे देवलोगेसु उववण्णे, एगे सुकुले पच्चायाए; अवसेसा ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिएसु उववण्णा । कठिन शब्दार्थ - अणासए - अश्व रहित बिना घोड़े का, असारहीए - सारथी रहित, अणारोहए- योद्धाओं से रहित, समूसले - मूसलसहित जणप्पमद्दं जन समूह का मर्दन करने वाला, जणसंबट्टकप्पं- जन-प्रलयकारी, रुहिरकद्दमं करेमाणे रक्त का कीचड़ करते हुए, परिधावित्था - दौड़ता है, कुच्छिसि - कुक्षा में, सुकुले पच्चायाए-अच्छे कुल में उत्पन्न हुआ । भावार्थ - ९ प्रश्न - हे भगवन् ! इसे रथमूसल संग्राम क्यों कहते हैं ? १९ उत्तर - हे गौतम ! जिस समय रथमूसल संग्राम हो रहा था, उस समय अब रहित, सारथी रहित, योद्धा रहित और मूसल सहित रथ, अत्यन्त जन संहार, जन वध, जन मर्दन और जन प्रलय करता हुआ तथा रक्त का कीचड़ करता हुआ चारों ओर दौड़ता था । अतः उस संग्राम को रथमूसल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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