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________________ भगवती सूत्र - श. ७.उ. ९. असंवृत्त अनगार Jain Education International माणे के जहत्था, के पराजइत्था ? : - ४ उत्तर - गोयमा ! वज्जी विदेहपुत्ते जड़त्था णव मल्लई णव लेच्छई कासी-कोसलगा अट्टारस वि गणरायाणो पराजइत्था । तणं से कोणिए राया महासिलाकंटगं संगामं उवद्वियं जाणित्ता कोटुंबियपुरिसे सहावेह, सद्दावित्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाप्पिया ! उदाई हत्थिरायं पडिकप्पेह, हय-गय-रह- जोह - कलियं चाउरंगिणं सेणं सण्णाह, मण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पचप्पिe । तरणं ते कोडुंवियपुरिसा कोणिएणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्ट तुटु-जाव अंजलिं कट्टु एवं सामी, तहत्ति' आणा विणणं वयणं पडिसुगंति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छेयाय - रियोवएस मतिकपणा - विकप्पेहिं सुणिउणेहिं एवं जहा उववाइए जान भीमं संगामियं अउज्झ उदाहं हत्थिरायं पडिकप्पेंति, हय-गय-जाव सण्णा हेंति, सण्णाहित्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागंच्छित्ता करयल जाव कूणियस्स रण्णो तमाणत्तियं पञ्चप्पि पंति । तएण से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरं तेणेव उवागच्छ उवागच्छित्ता, मज्जणघरं अणुप्पविसइ, मज्जणघरं अणुप्पविसित्ता हाए, कयवलिकम्भे, कय कोउय-मंगल- पायच्छिते, सव्वालंकारविभूसिए, सण्णद्ध-बद्ध वम्मियकाए, उप्पीलियसरासणपट्टिए, पिणद्धगेवेज - विमलवरवद्ध - चिंधपट्टे, गहियाउहप्पहरणे, सकोरेंटमल्लदामेणं ११९१ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004088
Book TitleBhagvati Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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