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भगवती सूत्र-श. ६ उ. ८ आयुष्य का बन्ध. .
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१८ प्रश्न-हे भगवन ! क्या जीव, जातिनामनिधत्त हैं ? जातिनामनिधतायु है ? जातिनामनियुक्त हैं ? जातिनामनियुक्तायु हैं ? जातिगोत्रनिधत्त हैं ? जातिगोत्रनिधतायु हैं ? जातिगोत्रनियुक्त हैं ? जातिगोत्रनियक्तायु हैं ? जातिनामगोत्रनिधत हैं ? जातिनाम्गोत्रनिधत्तायु हैं ? जातिनामगोत्रनियुक्त है ? जातिनामगोत्रनियुक्तायु हैं ? यावत् अनुभागनामगोत्रनियुक्ताय हैं ?
१८ उत्तर-हे गौतम ! जीव, जातिनामनिधत्त भी हैं । यावत् अनुभागनामगोत्रनियुक्तायु भी हैं । यह दण्डक यावत् वैमानिकों तक कहना चाहिये ।
विवेचन-पहले प्रकरण में बादर अप्काय आदि का वर्णन किया गया है। वे आयुष्य का बन्ध हाने पर ही हो सकते हैं । इसलिये अब आयुष्य के बन्ध के विषय में कहा जाता है-जाति का अर्थ है एकेद्रिय आदि पाँच प्रकार की जाति। तदरूप जो नाम उसे 'जातिनाम' कहते हैं । अर्थात् जातिनाम-यह एक नाम कर्म की उत्तर प्रकृति है । अथवा जीव का एक प्रकार का परिणाम है । उसके साथ निधन (निषिक्त-निषक को प्राप्त) जी आयु, उसे जातिनामनिधत्ताय कहते हैं। प्रतिसमय अनभव में आने के लिये कम पूदगलों की जो रचना होती है. उस 'निषेक' कहते हैं । नरयिक आदि चार प्रकार की गति' कहलाती है । अमुक भव में विवक्षित ममय तक जीव का रहना 'स्थिति' कहलाती है। इस रूप आयु को क्रमशः 'गनिनामनिधत्तायु' और स्थितिनामनिधनायु' कहते है । अथवा इस सूत्र में जातिनाम, गति नाम और अवगाहना नाम का ग्रहण करने में केवल जाति, गति और अवगाहना रूप प्रकृति का कथन किया गया है । स्थिति, प्रदेश और अनुभाग का ग्रहण होने से पूर्वोक्त प्रकृतियों की स्थिति आदि कही गई है। वह स्थिति जात्यादि नाम सम्बन्धित होने से नाम कर्म रूप ही कहलाती है। इसलिय यहाँ सब जगह 'नाम' का अय 'कर्म' घटित होता है । अर्थात् स्थिति रूप नाम कर्म जो हो, वह स्थितिनाम । उसके साथ जो निधत्तायु, उसे 'स्थिति-नामनिधुत्तायु' कहते हैं। जीव, जिसमें अवगाहित होता है-रहता है, उसे अवगाहना कहते हैं अर्थात् औदारिक आदि शरीर । उसका नाम अर्थात् अवगाहना नाम । अथवा अवगाहना रूप जो नाम (परिणाम) वह अवगाहना नाम । उसके साथ निधत्तायु 'अवगाहना-नामनिधत्तायु' कहलाती है। प्रदेशों का अथवा आयुष्य कर्म के द्रव्यों का उस प्रकार का नाम (परिणमन) वह प्रदेशनाम अथवा प्रदेश रूप जो कि एक प्रकार का नाम कर्म वह प्रदेशनाम, उसके साथ निधत्तायु प्रदेशनाम-निधतायु' कहलाती है । अनुभाग अर्थात् आयुष्य कर्म के द्रव्यों का विपाक तद्प जो नाम (परिणाम) वह अनुभाग-नाम' अथवा अनुभाग
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