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________________ ९१६ .भगवती सूत्र-श. ५ उ. ९ प्रकाश और अन्धकार ३ उत्तर-हंता, गोयमा ! जाव-अंधयारे । ४ प्रश्न-से केणटेणं ? ४ उत्तर-गोयमा ! दिया सुभा पोग्गला, सुभे पोग्गलपरिणामे, राइं असुभा पोग्गला, असुभे पोग्गलपरिणामे से तेणटेणं । कठिन शब्दार्थ-उज्जोए-उद्योत-प्रकाश, अंधयारे-अन्धकार । भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या दिन में उद्योत और रात्रि में अग्धकार होता है ? ३ उत्तर-हाँ, गौतम ! दिन में उद्योत और रात्रि में अन्धकार होता ४ प्रश्न-हे भगवन् ! इसका क्या कारण है ? ४ उत्तर-हे गौतम ! दिन में शुभ पुद्गल होते हैं, शुभ पुद्गल परिणाम होता है । रात्रि में अशुभ पुद्गल होते हैं और अशुभ पुद्गल परिणाम होता है। इस कारण से दिन में उद्योत होता है और रात्रि में अन्धकार होता है । ५ प्रश्न-णेरइयाणं भंते ! किं उज्जोए, अंधयारे ? ५ उत्तर-गोयमा ! णेरइयाणं णो उज्जोए, अंधयारे । ६ प्रश्न-से केणटेणं ? ६ उत्तर-गोयमा ! गेरइयाणं असुभा पोग्गला, असुभे पोग्गलपरिणामे से तेणटेणं । भावार्थ--५ प्रश्न हे भगवन् ! क्या मैरयिक जीवों के प्रकाश होता है, या अन्धकार होता है ? ५ उत्तर-हे गौतम ! नरयिक जीवों के उद्योत नहीं होता है, किन्तु Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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