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________________ भगवती सूत्र-श. ५ उ. ८ जीवों की हानि और वृद्धि १४ उत्तर-गोयमा ! सव्वद्ध । १५ प्रश्न-णेरइया णं भंते ! केवइयं कालं सोवचया ? १५ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एक समयं, उक्कोसेणं आव. लियाए असंखेजइभागं। १६ प्रश्न-केवइयं कालं सावचया ? १६ उत्तर-एवं चेव । १७ प्रश्न-केवइयं कालं सोवचय-सावचया ? १७ उत्तर-एवं चेव । १८ प्रश्न-केवइयं कालं णिस्वचय-णिरवचया ? १८ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। एगिंदिया सव्वे सोवचयासावचया सव्वद्धं, सेसा सव्वे सोवचया वि, सावच्या वि, सोवचय-सावचया वि णिस्वचयणिरवचया वि, जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजइभागं । अवट्ठिएहिं वक्कंतिकालो भाणियव्यो । भावार्थ-१४ प्रश्न-हे भगवन् ! जीव, कितने काल तक निरुपचय निरपचय रहते हैं ? १४ उत्तर-हे गौतम ! सभी काल तक जीक, निरुपचय निरपचय रहते १५ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक, कितने काल तक सोपचय रहते हैं ? १५ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट आवलिका के Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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