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________________ भगवती सूत्र - श ५ उ ७ परमाणु पुद्गलादि के विभाग ८६९ १० प्रश्न - दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे किं सअड्ढे, समज्झे, सपएसे, उदाहु अणड्ढे, अमज्झे, अपएसे ? १० उत्तर - गोयमा ! सअड्ढे, अमज्झे, सपएसे, णो अणड्ढे, ो समझे, णो अपसे । ११ प्रश्न - तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे० पुच्छा ? ११ उत्तर - गोयमा ! अणड्ढे, समज्झे, सपएसे, णो सअड्ढे, णो अमज्झे, णो अपसे, जहा दुप्पएसओ तहा जे समा ते भाणि - यव्वा, जे विसमा ते जहा तिप्पएसओ तहा भाणियव्वा । १२ प्रश्न - संखेज्जपएसिए णं भंते ! खंधे किं सअड्ढे पुच्छा ? १२ उत्तर - गोयमा ! सिय सअड्ढे, अमज्झे, सपएसे; सिय अणड्ढे, समज्झे, सपए से जहा संखेज्जपए सिओ तहा असंखेजपएसओ वि, अनंतपएसओ वि । कठिन शब्दार्थ –सअड्ढे - सार्ध, उदाहु – अथवा | भावार्थ - ९ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या परमाणु पुद्गल, सार्ध, समध्य और प्रदेश है ? अथवा अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? ९ उत्तर - हे गौतम ! परमाणु पुद्गल, अनर्द्ध है, अमध्य है और अप्रदेश है, परन्तु सार्ध नहीं, समध्य नहीं और सप्रदेश भी नहीं है । १० प्रश्न - हे भगवन् ! क्या द्विप्रदेशी स्कन्ध, सार्ध, समध्य और सप्रदेश है ? अथवा अर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश है ? १० उत्तर - हे गौतम ! द्विप्रदेशी स्कन्ध, सार्धं है, सप्रदेश है और अमध्य है, किन्तु अनर्द्ध नहीं है, समध्य नहीं है और अप्रदेश भी नहीं है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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