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________________ ८२२ भगवती सूत्र-श. ५ उ. ४ केवली का ज्ञान । २६ प्रश्न--हे भगवन् ! क्या केवली भगवान्, प्रकृष्ट मन और प्रकृष्ट वचन धारण करते हैं ? २६ उत्तर--हाँ, गौतम ! धारण करते हैं। २७ प्रश्न-जहा णं भंते ! केवली पणीयं मणं वा वई वा धारेज्जा तं णं वेमाणिया देवा जाणंति पासंति ? २७ उत्तर-गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति, अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति ? २८ प्रश्न से केणटेणं जाव-ण जाणंति ण पासंति ? २८ उत्तर-गोयमा ! वेमाणिया देवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहामाइमिच्छादिट्ठीउववण्णगा य, अमाईसम्मदिट्ठीउववण्णगा य; तत्थ णं जे ते माईमिच्छादिट्ठीउववण्णगा ते ण जाणंति ण पासंति; तत्थ णं . जे ते अमाईसम्मदिट्टीउववण्णगा ते णं जाणंति, पासंति । [से केणटेणं एवं वुच्चइ-अमाईसम्मदिट्ठी जाव-पासंति ? गोयमा ! अमाई. सम्मदिट्ठी दुविहा पण्णत्ता,-अणंतरोववण्णगा य, परंपरोववण्णगा य; . तत्थ णं अणंतरोववण्णगा ण जाणंति, परंपरोववण्णगा जाणंति । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-परंपरोववण्णगा जाव-जाणंति ? गोयमा ! परंपरोववण्णगा दुविहा पण्णत्ता-पजत्तगा य, अपजत्तगा य; पजत्तगा जाणंति, अपजत्तगा ण जाणंति।] एवं अणंतर-परंपर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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