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________________ भगवती सूत्र - श ५ उ. ४ छद्मस्थ सुनकर जानता है जो भाषा मगधदेश में बोली जाती है, उसे 'मागधी' कहते हैं । जिस भाषा में मागधी और प्राकृत आदि भाषाओं के लक्षण का मिश्रण हो गया हो, उसे 'अर्धमागधी ' भाषा कहते हैं । 'अर्धमागधी' शब्द का व्युत्पत्त्यर्थं भी यही है । भाषा के मुख्य रूप से छह भेद हैं । यथा - प्राकृत, संस्कृत, मागधी, पैशाची, शौरसेनी और अपभ्रंश, अनेक देशों की भाषा का सम्मिश्रण हो जाने से छठी भाषा को अपभ्रंश कहा गया है । छद्मस्थ सुनकर जानता है २१ प्रश्न - केवली णं भंते! अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणइ पासइ ? . २१ उत्तर - हंता, गोयमा ! जाणइ पासइ । २२ प्रश्न - जहा णं भंते! केवली अंतकरं वा अंतिमसरीरियं वा जाणइ पासइ तहा णं छउमत्थे वि अंतकरं वा अंतिमसरीरियं ८१७ वा जाणइ पासइ २२ उत्तर - गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे, सोचा जाणइ पासह पाणओ वा । २३ प्रश्न - से किं तं सोचा ? Jain Education International A २३ उत्तर - सोचा णं केवलिस्स वा केवलिसावयस्स वा केवलिसावियाए वा केवलिउवासगस्स वा केवलिउवासियाएं वा तप्पक्खियस्स वा तपक्खियसावयस्स वा तप्पक्खियसावियाए वा तपस्विवागस्स वा तप्पक्खियवासियाए वा से तं सोचा । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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