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________________ भगवती सूत्र - श. ५ उ. २ वायु का स्वरूप १३ उत्तर - गोयमा ! जया णं वाउकुमारा, वाउकुमारीओ वा अडाए वाउकायं उदीरेंति, अपणो वा, परस्म वा तदुभयस्स वा तया णं ईसिंपुरेवाया, जाव - वायंति । १४ प्रश्न - वाउयाए णं भंते! वाउयायं चेव आणमंति वा, पाणमंति वा ? १४ उत्तर - जहा खंदए तहा चत्तारि आलावगा णेयव्वा अगसयसहस्स, पुढे उद्दाड़, ससरीरी क्खिमइ । ७७९ कठिन शब्दार्थ - अहारियं अपने स्वभाव के अनुसार, रियंति-गति करता हैं, पुट्ठेस्पष्ट होकर स्पर्श पाकर | भावार्थ-८ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात, पथ्यवांत, मन्दवात और महावात हैं ? ८ उत्तर - हाँ, गौतम ! हैं । ९ प्रश्न - हे भगवन् ! ईषत्पुरोवात आदि वायु कब बहती हैं ? ९ उत्तर - हे गौतम! जब वायुकाय अपने स्वभाव पूर्वक गति करती हैं, तब ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं। १० प्रश्न - हे भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात आदि वायु हैं ? १० उत्तर - हाँ, गौतम हैं । ११ प्रश्न - हे भगवन् ! ईषत्पुरोवात आदि वायु कब बहती हैं ? ११ उत्तर - हे गौतम ! जब वायुकाय उत्तर क्रिया पूर्वक अर्थात् वैकिय शरीर बनाकर गति करती है, तब ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं। १२ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात आदि वायु हैं ? १२ उत्तर - हाँ, गौतम हैं । १३ प्रश्न - हे भगवन् ! ईषत्पुरोवात आदि वायु कब बहती हैं ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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