SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 260
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र - श. ५ उ. २ स्निग्ध पथ्यादि वायु लवणे समुद्दे वेलं णाइकमइ । से तेणट्टेणं जाव वाया वायंति । कठिन शब्दार्थ — दीविच्चया - द्वीप सम्बन्धी, सामुद्दया - सामुद्रिक - समुद्र सम्बन्धी ४ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात आदि वायु, द्वीप में भी होती है। ४ उत्तर - हाँ, गौतम ! होती है । ५ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या ईषत्पुरोवात आदि वायु, समुद्र में भी होती ५ उत्तर - हाँ, गौतम ! होती हैं । ६ प्रश्न - हे भगवन् ! जब द्वीप की ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं, तब क्या समुद्र की भी ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती है, और जब समुद्र की ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं, तब द्वीप की भी ये सब वायु बहती हैं ? ६ उत्तर - हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । ७७७ ७ प्रश्न - हे भगवन् ! इसका क्या कारण है कि जब द्वीप की ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हों, तब समुद्र की ईषत्पुरोवात आदि वायु नहीं बहती ? और जब समुद्र की ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हों, तब द्वीप की ईषत्पुरोवात आदि वायु नहीं बहती ? ७ उत्तर - हे गौतम ! वे सब वायु परस्पर व्यत्यय रूप से ( एक दूसरे के साथ नहीं, परन्तु पृथक् पृथक् ) बहती हैं। जब द्वीप की ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं, तब समुद्र की नहीं बहती और जब समुद्र की ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं, तब द्वीप की नहीं बहती । इस प्रकार यह वायु, परस्पर विपर्यय रूप से बहती हैं और इस प्रकार वे वायु लवण समुद्र की वेला का उल्लंघन नहीं करती । इस कारण यावत् पूर्वोक्त रूप से वायु बहती है । विवेचन - द्वीप और समुद्र सम्बन्धी वायु के विषय में यहू बतलाया गया है कि जब समुद्र सम्बन्धी ईषत्पुरोवात आदि बहती हैं, उस समय द्वीप सम्बन्धी ईषत्पुरोवात आदि नहीं बहती । और जब द्वीप सम्बन्धी ईषत्पुरोवात आदि वायु बहती हैं, तब समुद्र सम्बन्धी ईषत्पुरोवात आदि वायु नहीं बहती। ये वायु समुद्र की वेला का उल्लंघन नहीं करती है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy