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भगवती सूत्र-श. ३ उ. ७ लोकपाल सोमदेव
वा, एवं गहजुद्धा इ वा, गहसिंघाडगा इवा, गहावसव्वा इ वा, अब्भा इ वा, अब्भरुक्खा इ वा, संझा इ वा, गंधव्वणयरा इ वा, उक्कापाया इ वा, दिसिदाहा इ वा, गजिआ इ वा, विज्जू इ वा, पंसुवुट्ठी इ वा, जूवे इ वा, जक्खालित्तए त्ति वा, धूमिया इ वा, महिया इ वा, रयुग्घाए त्ति वा, चंदोवरागा इवा, सूरोवरागा इ वा, चंदपरिवेसा इ वा, सूरपरिवेसा इ वा, पडिचंदा इ वा, पडिसूरा इ वा, इंदधणू इं वा, उदगमच्छ कपिहसिय--अमोह-पाईणवाया इ वा, पडीणवाया इ वा, जाव-संवट्टयवाया इ वा, गामदाहा इ वा, जाव सण्णिवेसदाहा इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, वसणभूया अणारिया-जे यावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्करस देविं. दस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो अण्णाया, अदिट्ठा, असुया, अस्सु(मु)या अविण्णाया; तेसिं वा सोमकाइयाणं देवाणं सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे देवा अहावचा अभिण्णाया होत्था, तं जहा-इंगालए, वियालए, लोहिअक्खे, सणिचरे, चंदे, सूरे, सुक्के, बुहे, बहस्सई, राहू । सक्कस्स णं देविं. दस्स देवरण्णो सोमस्स महारणो सत्तिभागं पलिओवमं ठिई पण्णता, अहावच्चा-भिण्णायाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता । एवं महिड्ढीए, जाव-महाणुभागे सोमे महाराया ।
कठिन शब्दार्थ-अब्मा-अभ्र, उक्कापाया-उल्कापात, दिसिदाहा-दिग्दाह, धूमिआ
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