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________________ भगवती सूत्र-श. १ उ. ६ लोकान्त स्पर्शना आदि - २६३ २०३ उत्तर-हे गौतम ! यावत् छहों दिशाओं में स्पृष्ट होता है। २०४ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या द्वीप का अन्त (किनारा) समुद्र के अन्त को और समुद्र का अन्त, द्वीप के अन्त को स्पर्श करता है ? ___२०४ उत्तर-हां, गौतम ! यावत् नियम से छहों दिशाओं को स्पर्श करता है। २०५ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या इसी प्रकार इसी अमिलाप से पानी का : किनारा, पोत (नौका-जहाज) के किनारे को स्पर्श करता है ? क्या छेद का किनारा, वस्त्र के किनारे को स्पर्श करता है ? और क्या छाया का किनारा, आतप (धूप) के किनारे को स्पर्श करता है ? २०५ उत्तर-हां, गौतम ! यावत् नियम पूर्वक छहों दिशाओं को स्पर्श. करता है। . विवेचन-गौतमस्वामी ने प्रश्न किया कि-हे भगवन् ! क्या लोक के अन्त ने अलोक को और अलोक के अन्त ने लोक को स्पर्श कर रखा है ? भगवान् ने फरमाया कि-हाँ, गौतम ! स्पर्श कर रखा है और छहों दिशाओं में स्पर्श कर रखा है। जिस आकाश के साथ धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, जीवास्तिकाय और पुद्गलास्तिकाय, ये चारों अस्तिकाय होते हैं, उसे लोक कहते हैं और जिस आकाश के साथ ये चारों नहीं है, किन्तु केवल आकाश ही आकाश है वह 'अलोक है । तात्पर्य यह है कि पूर्ण ज्ञानियों ने आकाश सहित पांचों अस्तिकाय जहां विद्यमान देखें, उसे 'लोक' संज्ञा दी और जहां केवल आकाश देखा, उस भाग को 'अलोक' संज्ञा दी। काल का व्यवहार भी लोक में ही होता है, अलोक में नहीं। . . लोक और अलोक दोनों की सीमा मिली हुई है अर्थात् दोनों का अन्त एक दूसरे को स्पर्श करता है । इस प्रकार लोक का अन्त, अलोक के अन्त से और अलोक का अन्त, लोक के अन्त से छहों दिशाओं में स्पृष्ट है। _ सागर का अन्त, द्वीप के अन्त को और द्वीप का अन्त, सागर के अन्त को स्पर्श करता है । जैसे-जम्बूद्वीप का अन्त, लवण समुद्र से और लवण समुद्र का अंत जम्बूद्वीप से : मिला हुआ है। इसी प्रकार सब द्वीप समुद्रों का परस्पर स्पर्श है और वह स्पर्श छहों दिशाओं से हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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