SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६४ भगवती सूत्र-श. १ उ. ६ क्रिया विचार यहाँ यह प्रश्न हो सकता है कि द्वीप और समुद्रों का अन्त छहों दिशाओं में कैसे स्पर्श करता है ? इसका समाधान यह है कि-सब द्वीपों की और सब समुद्रों की गहराई एक हजार योजन होती है । इसलिए द्वीपों और समुद्रों का अन्त एक दूसरे से नीचे भी स्पर्श करता है, बीच में भी स्पर्श करता है और ऊपर भी स्पर्श करता है । चारों तरफ चारों दिशाओं की स्पर्शना तो स्पष्ट ही है। इस प्रकार छहों दिशाओं में स्पर्शना होती है। . इस विषय में धूप और छाया, वस्त्र और छिद्र आदि के दृष्टान्त भी दिये गये हैं। . धूप का अन्त, छाया के अन्त को और छाया का अन्त, धूप के अन्त को स्पर्श करता है । इसी प्रकार वस्त्र का अन्त. छिद्र के अन्त को और छिद्र का अन्त. वस्त्र के अन्त को स्पर्श करता है और वह छहों दिशाओं में स्पर्श करता है। क्रिया विचार २०६ प्रश्र-अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाए णं किरिया कज्जइ ? २०६ उत्तर-हंता, अत्थि। .. २०७ प्रश्न-सा भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? . .. २०७ उत्तर-जाव-णिव्वाघाएणं दिसिं, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसिं । २०८ प्रश्न-सा भंते ! किं कडा कजइ ? अकडा कजइ ? २०८ उत्तर-गोयमा ! कडा कजइ, णो अकंडा कज्जइ । २०९ प्रश्न-सा भंते ! किं अत्तकडा कजइ ? परकडा कज्जइ ? तदुभयकडा कजइ ? २०९ उत्तर-गोयमा ! अत्तकडा कजइ, णो परकडा कज्जइ, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy