SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४४ भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ नैरयिकों की दृष्टि ज्ञान आदि सम्यग्दृष्टि हैं ? मिथ्यादृष्टि हैं ? या सम्यग्मिथ्यादृष्टि (मिश्रदृष्टि) हैं ? . . . १८२ उत्तर-हे गौतम ! तीनों प्रकार के हैं। १८३ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले सम्यगदष्टि नारको जीव क्या क्रोधोपयुक्त हैं ? मानोपयुक्त हैं ? मायोपयुक्त हैं ? लोभोपयुक्त हैं ? १८३ उत्तर-हे गौतम ! सत्ताईस भंग कहना चाहिए। इसी तरह मिथ्यादृष्टि में भी कहना चाहिए। सम्यगमिथ्यादृष्टि में अस्सी भंग कहना चाहिए। . १८४ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले नारकी जीव क्या ज्ञानी है ? या अज्ञानी हैं ? १८४ उत्तर-हे गौतम ! उनमें ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी। जो ज्ञानी हैं उनमें नियमपूर्वक तीन ज्ञान होते हैं और जो अज्ञानी हैं उनमें तीन अज्ञान भजना (विकल्प) से होते हैं। १८५ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले और आभिनिबोधिक ज्ञान में वर्तने वाले नारकी जीव क्या क्रोधोपयुक्त हैं ? मानोपयुक्त है ? मायोपयुक्त है ? या लोभोपयुक्त है ? १८५ उत्तर-हे गौतम ! यहाँ सत्ताईस भंग कहना चाहिए और इसी प्रकार तीन ज्ञान और तीन अज्ञान में कहना चाहिए। १८६ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले नारकी जीव क्या मनयोगी हैं ? वचनयोगी हैं ? या काययोगी हैं ? १८६ उत्तर-हे गौतम ! वे प्रत्येक तीनों प्रकार के हैं अर्थात् सभी नारकी जीव मन, वचन और काया, इन तीनों योगों वाले हैं ? १८७ प्रश्न-हे भगवन् ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले और मन योग में वर्तने वाले नारकी जीव क्या क्रोधोपयुक्त हैं ? मानोपयुक्त हैं ?मायोपयुक्त हैं ? या लोभोपयुक्त हैं ? १८७ उत्तर-हे गौतम ! सत्ताईस भंग कहना चाहिए और इसी प्रकार वचनयोगी और काययोगी में भी कहना चाहिये। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy