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___ भगवती सूत्र-श. १ उ. ५ पृथ्वीकायादि के आवास
१६७ उत्तर-गोयमा ! असंखेजा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, जाव असंखिजा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । . १६८ प्रश्न सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा पण्णता ?
१६८ उत्तर-गोयमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता एवं:
बत्तीस-ट्ठावीसा बारस-अट्ठ-चउरो सयसहस्सा, पण्ण-चत्तालीसा छ्च सहस्सा सहस्सारे । आणय-पाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरण-च्चुए तिष्णि, सत्त विमाणसयाई चउसु वि एएसु कप्पेसु । एकारसुत्तरं हेट्ठिमेसु सत्तुत्तरं संयं च मज्झमए, सयमेगं उवरिमए पंचेव अणुत्तरविमाणाः । विशेष शब्दों के अर्थ-केवइया-कितने ।
भावार्थ-१६७ प्रश्नहे भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों के कितने लाख आवास कहे गये हैं?
१६७ उत्तर-हे गौतम ! पृथ्वीकायिक जीवों क असंख्यात लाख आवास कहे गये हैं और इसी प्रकार यावत् ज्योतिष्क देवों के असंख्यात लाख विमानावास कहे गये हैं।
१६८ प्रश्न-हे भगवन् ! सौधर्मकल्प में कितने लाख विमानावास कहे गये हैं ?
१६८ उत्तर-हे गौतम ! वहाँ बत्तीस लाख विमानावास कहे गये हैं। . इस प्रकार-क्रमशः बत्तीस लाख, अट्ठाईस लाख, बारह लाख, आठ लाख, चार
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