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(१२) नाममें, कुतर्कका विचार. सो, सार्थक है । और-मिशरी नामकी, कन्या है सो, नाम निक्षेप है, सो-निरर्थक है । ___ समीक्षा-ढूंढनीजी-अपणे लक्षणमें लिखती है कि-आकार और गुण रहित, नाम सो, नाम निक्षेप, तो क्या--कन्या कुछ आकार रूप नही है ? और क्या मनुष्यपणेका गुणवालीभी नहीं है ? जो आकार
और गुणविना के लक्षणमें, डालती है ? पाठक वर्ग : नाम निक्षेप, तीनमकारसें, किया जाता है, देखो प्रथम निक्षेप के लक्षणमें-यथार्थ गुणवाली, मिष्ट रूप, द्रव्य मिशरीमें, प्रथम प्रकारसे नाम नि. क्षेप' है। और कन्या रूप वस्तुमें-दूसरा प्रकारका नाम नि. क्षेप' किया गया है, सो भी कन्यारूप वस्तुको जनानेवाला ही है। तो पिछे निरर्थक कैसे होगा ? वस्तु रूपे कन्या होनेसे, कन्याका दूसरेही ' चार निक्षेप ' करने पड़ेंगें । इस वास्ते हम कहते है कि ढूंढनीने, निक्षेपका अर्थ ही, कुछ समजा नहीं है । जैसें-हरि, यह दो वर्ण ही है, परंतु कृष्णके वख्तमें, कृष्णका, भाव, प्रगट करेंगे । और-सूर्य, सिंह, के अभिप्रायके वख्तमें, सूर्य सिंहादिकका 'भाव' प्रगट करेंगे । परंतु एकसें दूसरी वस्तुमें 'हरि' नामका निक्षेप, निरर्थक केसे होगा ?जब नामवाली वस्तु, वस्तुरूपे न होवें, तबही निरर्थक होगा । और यह ढूंढनीभी-वस्तुके चार चार निक्षेप करना, वैसा कहकर, सूत्रसें-आवश्यक रूप, एक वस्तुका, दिखाके भी आई है, तष कन्यारूप वस्तुमें, निक्षेप निरर्थक है, वैसा कैशे कहती है ? सोतो वाचकवर्ग ही विचार करें ।
इति नाममें-कुतर्कका विचार ॥
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