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________________ द्रव्यनिक्षेपमें, विशेष. (३९) प्रयत्न करेंगे तो, सूत्रकारसेभी विरुद्ध होगा, क्योंकि सूत्रकारने नाम निक्षेपको, अलग दिखाके, भिन्नरूप दश प्रकारकी वस्तुमें स्थापना निक्षेप, करना दिखाया है | इस वास्ते सूत्रकार, और लक्षणकारके अभिप्रायसें तो, मात्र मूल वस्तुको-आकृति, अनाकृति सें, उस पदार्थको समजनेका है । इस वास्त सूत्रसे, और ल. क्षणकारसेभी, विपरीत, इस ढूंढनीजीकाही लेख, निरर्थक है। परंतु स्थापना निक्षेप, निरर्थक, कभी न ठहरेगा.॥ इति द्वितीय ' स्थापना निक्षेप ' विशेष समीक्षा.॥ ॥ अथ तृतीय · द्रव्य निक्षेपकी ' विशेष समीक्षा. ढूंढनीजी--अपणे लक्षणमें-लिखती है कि--वस्तुका वर्तमान गुण रहित, अतीत अथवा अनागत गुण सहित, और आकार ना. मभी सहित, सो--द्रव्य निक्षेपः॥ और सूत्रार्थमें-द्रव्य आवश्यकके २ भेद-यथा षष्ट अध्ययन आवश्यक सूत्र ? । आवश्यकके पढनेवाला आदि २ । इसमें विचार यह है कि वर्तमानमें आवश्यक सूत्रका, . गुण रहितपणा क्या हुवा ? क्या सूत्रका गुणथा सो, उडकर झाडपर बैठ गया ? जो गुण राहतपणा हो गया ? ( और आवश्य- . कका पढनेवालेमेंभी-गुण रहितपणा क्या है ? तूं कहेंगी कि-उपयोग नहीं है, सो तो जीवका नहीं है, परंतु आवश्यक से क्या चला गया? तूं कहेंगी कि--क्रिया,और क्रियावालेको,एक मान के कहते है । तब तो--उपयोग विनाकी करनेरूप, क्रिया मात्रका नाम--द्रव्य आवश्यक' हुवा। तो पीछे जो सूत्र पाठसें--नाम निक्षेप, और स्थापना निक्षेप,भिन्नपणे कहकर आइ,सो,इस द्रव्य निक्षेपमें,कैसे गूसडती है? इस वास्ते यह तेरा लेख--सूत्रकारसे विपरीत है सो तो, आलजाल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004084
Book TitleDhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Dagdusa Patni
PublisherRatanchand Dagdusa Patni
Publication Year1909
Total Pages448
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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