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नाम निक्षेप समीक्षा.
फिर पृष्ट १२ ओ ६ से कन्याका नाम " मिशरी " रख
दिया सो " नाम निक्षेप " है इत्यादि.
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समीक्षा - पाठक वर्ग ? नाम निक्षेप-तीन प्रकार से होता है, देखो नाम निक्षेपका लक्षणमें, तीन प्रकार में से यह दूसरा जो, इंद्र अ शुन्य, और इंद्रके दूसरे पर्याय नामका अनभिधेय, सो नाम निक्षेप, गुज्जरके पुत्रमें किया गया है । इस वास्ते यह वस्तुही दूसरी माननी पडेगी || वैसे कन्याका भी “मिशरी” नाम समजना | क्योंकि - किसी राज पुरुषमें - "राजन् " पदका । अथवा दीक्षित पुरुप - साधुपदका, जैसे- गुण क्रियावाची शब्दका अभिप्रायसें, ना•मका निक्षेप करते है, तैसें - गुज्जर के पुत्र में, और कन्यामें - नाम निक्षेप नही किया गया है । इस वास्ते गुज्जरका पुत्र इंद्र, और मिशरी नामकी कन्या, यह दोनोभी पदार्थ, अपने अपने स्वरूपसे, भिन्न भिन्न वस्तुरूपे होनेसें, कार्य होगा जब दूसरेही चार निक्षेपे करने पडेंगे । चाहे एक नामसे अनेक वस्तु हो, परंतु जिस जिस अभिप्राय से, निक्षेप करेंगे, सोही माने जायगे.
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जैसे - " हरि " यह वर्ण तो दोई है, और संकेत अनेक व स्तुरूपमें है - कृष्ण, सूर्य, सिंह, वानर, अश्व, आदिमें, परंतु वस्तुरूपे भिन्न भिन्न होने से, कृष्ण के अभिप्रायसे किये हुयें निक्षेपमें सूर्य, सिंह, वानर, आदि कभी न गूसड सकेंगे । ऐसें जो जो वर्ण समुदाय, अनेक वस्तुका वाचक है, उनका चार चार निक्षेप, भिन्न भिन्नसे होगा । जैसे- राजन् कहने से चंद्रमा भी होता है, परंतु पुरुपमें जे राजन्पदका निक्षेप किया है सो तो भूमिपालके अभिप्रायसें किया गया, चंद्रमाका वाचक कभी न हो सकेगा । इश वास्ते यह ढूंढनी ढुंढ ढुंढकभी थक्की तोभी- निक्षेप शब्दका अर्थ ही समजी नही है । क्योंकि सूत्र पाठसे तो-नाम, आकार, भिन्न भिन्न
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