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नामनिक्षेप समीक्षा. (३१) ... ॥ इति ढूंढनीजीका लिखा हुवा-मूल सूत्र, और अर्थ, पाठक वर्गका ध्यान खैचने के लिये लिखा है ॥
. ॥ अब जो ढूंढनी पार्वतीजीने-मतिकल्पनासे, चार निक्षेपका अर्थ लिखके, सूत्रपाठ दिखाया है, उनका परस्पर विरुद्ध, और हमने लिखे हुये सूत्र, और अर्थ, और निक्षेपोंका लक्षण, तरफ पाठक वर्गका ध्यान खैचते है. ॥ . ___ ढूंढनीजीका लेख-अनुयोगद्वारका आदिहीमें "वस्तुके" स्वरूपके समजनेके लिए, वस्तुके सामान्य प्रकारसे, चार निक्षेपे निक्षेपने (करने ) कहे है । वैसा लिखके-नाम निक्षेप सो " वस्तुका" आकार, और गुण रहित, नाम १ ॥ ___ और सूत्र पाठसें-नाम आवश्यक १ । स्थापना आवश्यक २ । द्रव्य आवश्यक ३ | भाव आवश्यक ४ । लिखती है. ॥
समीक्षा-पाठक वर्ग ?-वस्तु कहनेसें, गुण क्रियावाली, कोई भी एक चिज माननी पडेगी, और उनमेंही चार निक्षेपे निक्षेपने ( करने ) होंगे, जब वस्तु, वस्तु रूपही न होंगे तब निक्षेपने किसमें करेंगे? जब एक चिज रूपसें निश्चय हो गया, तब आकार रहित, गुण रहित, कैसे कह सकेंगे ? सूत्रकारने तो-एक आवश्यक वस्तुका ही, चार निक्षेप करनेका कहकर, नाम निक्षेप-मात्र--जीव अजीवादिकमें करनेका दिखाया है, जैसे-साधुपदका निक्षेप, नवदीक्षितमें करते है, तैसें यह आवश्यक पदकाभी-नाम निक्षेप, पुस्तकादि किसीभी वस्तुमे करणेका है. ॥ ____ ढूंढनीजी-देखो सत्यार्थ पृष्ट ७ ओ ९ से-किसी गूजरने अपने पुत्रका नाम " इंद्र" रखा सो 'नामनिक्षेप' करा है.
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