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________________ (२८) पार्वतीजीका लेख. । अस्यार्थः-प्रश्न-आवश्यक किसको कहिये-उत्तर-अवश्य करने योग्य यथा आवश्यक नाम सूत्र, जिसको चार विधिसे समजना चाहिये, तद्यथा--जाम आवश्यक ११ स्थापनाआवश्यक २। द्रव्यावश्यक ३ । भावआवश्यक ४। । प्रश्न-नामआवश्यक क्या-उत्तर-जिस जीवका, अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, आदिकका। तथा अजीवका, अर्थात् किसी मकान काष्ट, पाषाणादिक । जिन जीवोंका । जिन अजीवोंका । उन्हें दोनोंका । नाम आवश्यक, रख दिया सो, नाम आवश्यक १। इति ढुंढनीजीका लिखा हुवा, प्रथम निक्षेप सूत्र. . और अर्थ. सेकिंतं ठवणा वस्सयं, २ जण्णं, १ कठकम्मे वा, २ चित्तकम्मेवा, ३ पोथकम्मेवा, ४ लेपकम्मेवा, ५ गंठिकम्मेवा, ६ वेढिकम्मेवा, ७ पुरिमेवा, ८ संघाइमेवा, ९ अख्खेवा, १० वराडए वा, ११ एगो वा, अणेगोवा, सम्भाव ठवणा ए वा, १२ असभ्भाव ठवणाए वा, श्रावस्सएत्ति ठवणा कजइ सेतं ठवणावस्सयं २। .अस्यार्थः-प्रश्नस्थापना आवश्यक क्या-उत्तर--१काष्टपैलिखा, २ चित्रोंमें लिखा, २,३ पोथीपै लिखा ४ अंगुलीसे लिखा, ५ गूंथ १ हमारी अवश्य क्रिया " वस्तुका" बोध करानेवाला, अजीव रूप पुस्तकमें, नाम निक्षेप, समजना ॥ २ इस स्थापना निक्षेप सूत्रमें-पोथी मैं लिखा, आदिसें, तीथंकरोंका ज्ञान गुण वस्तुके,- अक्षरोंकी स्थापना ॥ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004084
Book TitleDhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Dagdusa Patni
PublisherRatanchand Dagdusa Patni
Publication Year1909
Total Pages448
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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