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द्वितीय भाग अनुक्रमणिका. (३५) ॥ प्रतिमागंडन स्तवनावली संग्रहानु क्रमाणका ॥ फर्ताकानाम
गाथा-- १ श्रीयशो विजय कृत स्तवन- १५• सोजतमें बन्याहुवा स्तवन- ३६३ श्रीसोभाग्य विजय कृत स्तवन- १५४ श्री जिनचंद्र सूरिकृत स्तवन- ११५ श्रीपरमानंद मुनिकृत स्तवन- २२६ संपतिराजाका,स्तवन कनक मुनि-९७ श्रीउदय रतन मुनिकृता चोपाई- ७८ श्री लक्ष्मीवल्लभ सूरिकृत स्तवन-२७९ श्री लाल मुनि कृत स्तवन- ८१० प्रतिमामंडन रास. जिनदास- ६६११ जिनराज सेवक कृत स्तवन- ६१२ प्रतिमा विषये चिदानंदजीके उद्गारो, अर्थ सहित . तीन कवित१३ माधव ढूंढक जिन प्रतिमा आदिकी करेली निंदागाथा
. १५ । ५ । ४- ३१ १४ कुंदनमल ढूंढके कपीलादासी का किया हुवा अ
नुकरण१५ जिन प्रतिमाके निंदक ढूंढकोंको-मुनिराज श्रीवल्लभ
विजयकी तरफसे,कक्कादिकसें शिक्षा वत्रीसी-३२-३६ १६ ग्रंथकार भुनिअमर विजयकी तरफसें, निंदक ढूंढ
कोंको-हित शिक्षाका स्तवन- १७- ४२ ॥ इति श्रीमद्धिजयानंदसूरिशिष्य, मुनिअमर विजय कृता, स्तवन संग्रहावलीकी, अनुक्रमाणिका, समाप्ता॥
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