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द्वितीय भाग अनुक्रमणिका.
२३ यह तीनों पार्वतीका ( ३ ) ढूंढक भक्ताश्रित, (४) भाव निक्षेपका स्वरूप
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२४ ढूंढक श्री - गोपाल स्वामीजीका, मृतक देहकी मूर्ति, और उसका वर्णन
२५ मूर्त्तिका खंडन करनेवाली, ढूंढनी पार्वतीजी की मूर्ति, और उसका वर्णन -
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२६ वीतरागी मूर्त्तिसें, विपरिणाम होनेमें- दिवाने पुरुषका
दृष्टांत -
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२७ ढूंढनी पार्वतीजीका ही लेखकी, (१९) कलमके स्व. रूपसें, हमारे ढूंढक भाइयांके, संसार खातेका स्वरूप - ८३ ॥ इति ढूंढक हृदय नेत्रांजनस्य द्वितीय विभागस्याऽनुक्र
मणिका समाप्ता ॥
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