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________________ (२४) शिव भक्ताश्रित -त्रण पार्वतीका नाम निक्षेप. -100 चार निक्षेपका स्वरूप, दिखावत है । जैसे कि - महादेवजीकी स्त्रीका I नाम है - पार्वती, सो ढूंढन जीके मंतव्य मुजब नाम, होगा । और जैन सिद्धांतानु सारसे तो नाम निक्षेपही होगा । परंतु दूसरीखी में दिया । हुवा यह पार्वतीजी का नामतो, ढूंढनीजी के मंतव्य मुजब भी नाम निक्षेप ही, होगा । और यह पार्वतीजी का नाम, हजारो स्त्रीयोंका देखने: में भी आता है, तो भी एक-दो- स्त्रीयोंका, मुख्यत्वपणा कर के, समजाते है। जैसे कि कोई खुब सुरतकी वेश्या है, उसमें नामका निक्षेप, किया है - पार्वती । और एक ढूंढनी साध्वीजीमें भी वही नामका निक्षेप, किया गया है - पार्वती । अब एक पुरुष है, महादेवजीका भक्त १ । और दूसरा - एक पुरुष है, सो - केवल कामका विकारी २ । और तिसरा - एक पुरुष है, सो ढूंढक धर्मकी ही प्रीतिवाला. ३ । ॥ शिवभक्त आश्रित -त्रणें पार्वतीजीका, स्वरूपः ॥ इस विषय में प्रथम - शिवका भक्त, आश्रित-त्रणें पार्वतीजीका, चार चार निक्षेप १ हेय, २ ज्ञेय, और ३ उपादेयके, स्वरूप -- विचार करके, दिखलावते है । BE अब जो महादेवजीका - भक्त, है सोतो- वेश्या पार्वतीका नाम निक्षेपको, केवल १ हेय, रूपही जानता है । और वेश्या पार्वती, एसा - नाम, सुनके, कवी भी उसकी तरफ ध्यान नही देता है || और दूसरा ढूंढनी पार्वतीजीका नाम निक्षेपको, सुनके, उनको-- २ ज्ञेय, रूपसें, समजता है । और साध्वी पार्वतीजी ऐसा नाम सुनके - तो प्रीति धारण करता है, और न तो अप्रीति करता है । मात्र इतना ही विचार करता है कि यह पार्वतीजी भी कोई एक वस्तु रूपसें होंगी ? ॥ Jain Education International ד For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004084
Book TitleDhundhak Hriday Netranjan athwa Satyartha Chandrodayastakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Dagdusa Patni
PublisherRatanchand Dagdusa Patni
Publication Year1909
Total Pages448
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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