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नेत्रांजन प्रथम भाग अनुक्रमणिका. (२१) २१ पूर्वोक्त रीति प्रमाणे-दोनों पाठोंका मेलसें, (४) भाव
निक्षेपमें-विपरीतपणेकी, समीक्षा२२ (१) नाम निक्षेपमें, विशेष समीक्षा२३ (२) स्थापना निक्षेपमें, विशेष समीक्षा२४ [३] द्रव्य निक्षेपमें, विशेष समीक्षा२५ (४) भाव निक्षेपमें, विशेष सभीक्षा२६ सूत्रमें-निक्षेप चार, ढूंढनीजीका-विकल्प आठ । उन
की समीक्षा२७ (१) नाम निक्षेपमें-ढूंढनीजीकी, कुतर्कका विचार२८ (२) स्थापना निक्षेपमें-ढूंढनीजीकी, कुतर्कका विचार- ४३ २९ (३) द्रव्य निक्षेपमें-ढूंढनीजीकी, कुतर्कका विचार- ४५ ३० (४) भाव निक्षेपमें-ढूंढनीजीकी, कुतर्कका विचार- ४५ ॥ इति ढूंढनीजीके कल्पित आठ विकल्पकी सामान्यपणे समीक्षा ।।
३१ तीर्थकरमें-ऋषभदेव नाम । और पुरुष, स्थंभादिकमें ।
ऋषभदेव, नाम निक्षेप ।। इस प्रकारसे ढूंढनीजीकी जूठी
कल्पनाकी, समीक्षा३२ ऋषभदेवके-शरीरमें, स्थापना । और मूर्ति-ऋषभदेव
भगवानका, स्थापना निक्षेप ॥ इस प्रकारसे ढूंढनीजीकी जूठी कल्पनाकी, समीक्षा
४८ ३३ ऋषभदेव भगवानकी, पूर्व अवस्थामें-द्रव्य । और उन
की, अपर अवस्थामें-द्रव्य निक्षेप ।। इस प्रकारसे ढूंढनीजीकी जूठी कल्पनाकी, समीक्षा-
४८ ३४ तीर्थकर भगवानका-जीव, सोता-आव । और शरीरयुक्त
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