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स्त्रीकी मूत्तिसे-काम जागे.
स्तुका ' स्थापना निक्षेप, शास्त्रकारके कहने मुजब कर दिखाया. । अब 'द्रव्य निक्षेप, मिशरी वस्तुका, अपणा किया हुवा लक्षणसें भी विपरीतपणे, मिट्टीके कूज्जेमें, कर दिखाया, जिस मिट्टीमें मिशरी पणेका भाव, न तो पूर्वकालमें है, और न तो अपरकालमें, है।
और ऋषभदेव नामकी वस्तुका 'द्रव्य निक्षेप, केवल आतीतकालमें तीर्थकर भाव वस्तुका कारणरूप मृतक शरीरमें, कर दिखाया.। और भविष्य कालका कारणरूप शरीरमें, केवल 'द्रव्य ' पणा ठहराया.॥..
अब मिशरी नामकी वस्तुका 'भाव निक्षेप' मिट्टीके कून्जेमें ठहराया. । और ऋषभदेव नामकी वस्तुका ‘भाव निक्षेप, तीर्थकरमें ठहराया. । यह तो ठीकही है, परंतु मिशरी वस्तुका भाव निक्षेप' मिट्टीके कूजमें ठहराया यह हिसाब कैसे मिलेगा । निक्षेप तो करने लगी है किसका,और करके दिखाती है किसमें ढूंढनीकी इतनी चातुरी दिखानेके वास्ते, यह लेख फिर लिख दि. खाया है. ॥ सो पाठकवर्ग पुनः पुनः विचार करें. ! ॥
॥ अब स्त्रीकी मूर्तिसें काम जागे ॥ ढूंढनी-पृष्ट ३४ ओ. ३ सें-स्त्रीकी मूर्तियोंको ' देखके तो, सबी कामियोंको काम जागता होगा । परंतु भगवान्की 'मूर्तियोंको' देखके, तुम सरीखे श्रद्धालुओमेसें, किस २ को बैराग्य हुवा, सो बताओ ? || ओ. १२ से-अथवा किसीको किसी प्रकार 'यूनियों ' देखनेसे, वैराग्य आभीजाय, तो क्या वंदनीय हो जायेंगी इत्यादि ॥
समीक्षा-इहांपर ढुढनीजीने, यह क्या चातुरी दिखादीई है
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