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देव्य, और 'द्रव्य निक्षेप 'का विचार.
( ६७ )
मिशरीका ' द्रव्य ' खांड आदिक, जिससे मिशरी बने सो ' द्रव्य ' | और चासनी भरनेके पहिले, और मिशरी निकालने के पिछे भी, मिशरीके कूज्जे कहते हैं सो ' द्रव्य निक्षेप ' !॥
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पाठकवर्ग अब विचार किजीये के, मिशरी नामकी वस्तुका कारण - जो पूर्वावस्थारूप खांड है, उसमें मिशरी वस्तुका 'द्रव्य निक्षेप ' करनेका शाखकारने कहा है, उसको ढूंढनी मिशरीका ' द्रव्य ' मात्र कहती है. । और जो मिट्टीका कूज्जा में, मिशरी वस्तुका गुण, एक अंश मात्र भी नही हैं, उसमें मिशरी वस्तुका ' द्रव्य निक्षेप' ठहराती है । अब देखो ढूंढनीका पोथा सें द्रव्य निक्षेप कालक्षण-वस्तुका वर्तमान गुण रहित, अतीत अथवा अनागत गुण सहित, और नाम आकार भी सहित, सो, द्रव्यनिक्षेप, । यह ढूंढनीका लक्षण, मिट्टीके कूज्जे में मिशरी वस्तुका क्या है ! क्या अतीत अनागतमें, मिट्टीका कूज्जा है सो, मिशरी पणेका गुणको, अथवा मिशरी पणेका नामको, कुछ धारण करता है ? जो मिशरी वस्तुका ' द्रव्यनिक्षेप कर दिखाती है ? । और, ढूंढनी सूत्रसं, नो आगमके भेद, १ जाणग सरीर, और २ भविअ सरीरमें - द्रव्यनिक्षेप, करना कहती है, सो तो, वस्तुकी पूर्वकाल अवस्था, किंवा अपरकाल अवस्था सिद्ध होती है, तो पिछे मिशरी वस्तुका - द्रव्य निक्षेप, मिट्टीके कूज्जेमें करनेका, किस गुरुपास से पढकर दिखाती है ?
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अब देखिये ऋषभदेव के विषयमें ढूंढनीका ' द्रव्य ' और
द्रव्यनिक्षेप' सत्यार्थ- पृष्ट. १६ सें - यथा भाव गुण सहित, पूर्वोक्त शरीर, अर्थात् संयम आदि केवल ज्ञान पर्यंत, गुण सहित शरीर सो ' द्रव्य ' ऋषभदेव, ॥ और पूर्वोक्त ' जाणगसरीर ' और 'भविअ सरीर, अर्थात् अतीत अनागत कालमें, भाव गुण
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