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________________ नीतिशास्त्र की पृष्ठभूमि | १३ व्युत्पत्ति लैटिन शब्द mores से हुई है, जिसका अभिप्राय समाज में प्रचलित रीति-रिवाजों (customs) से है। जबकि policy शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन शब्द politus से हुई है, जिसका अभिप्राय है (embellished) सजाना, सुशोभित करना। यानी व्यक्ति का वह व्यवहार और मानसिक प्रवृत्तियाँ जो परिष्कृत हो चुकी हों, मंज चुकी हों, जिनमें सजावट आ गई हो। वह परिस्कार व्यक्ति की रुचि प्रवृत्ति के अनुसार शुभ (good) भी हो सकता है और अशुभ (bad) भी। . इसीलिए (policy) शब्द के भी तीन रूप बताये गये हैं (१) prudential policy (अच्छी या समझदारी की नीति) इसे नीति अथवा सुनीति कह सकते हैं। (२) no-policy (अनीति)—इसमें व्यक्ति अपना स्वार्थ ही सिद्ध करने की चेष्टा करता है । उसकी कोई निश्चित नीति नहीं होती। जैसा अवसर देखा, वैसा बदल गया। (३) crooked or bad policy-यह कुनीति अथवा दुर्नीति के समकक्ष है । व्यक्ति इसमें अपना अपयश और अन्य लोगों की हानि करता है। इसमें संवेग प्रमुख कार्य करते हैं। संवेगों के प्रवाह में व्यक्ति बह जाता है । विवेक से उसका दूर का भी वास्ता नहीं होता। - वास्तव में वही दुर्नीति है, जिसमें अपनी तथा दूसरे की भी हानि होती है और परिणाम दुःखद होता है । निर्णयक्षमता के विकास हेतु नीतिशास्त्र का ज्ञान आवश्यक नीति, अनीति और दुर्नीति के भेद से यह स्पष्ट है कि व्यक्ति को किसी कार्य को प्रारम्भ करने का निर्णय भली-भाँति सोच-विचार कर लेना चाहिए। किन्तु सही स्थिति यह है कि शूम निर्णय लेने की क्षमता प्रत्येक व्यक्ति में समान नहीं होती। कुछ ही व्यक्ति ऐसे होते हैं जो समयानुकूल उचित और नीतिसम्मत निर्णय ले पाते हैं। ऐसे लोग अन्तःप्रज्ञा के धनी होते हैं। 1. 2: John H. Muirhead : The Elements of Ethics, p. 4 Policy (word) Chambers' Twentieth Century Dictionary). Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004083
Book TitleJain Nitishastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1988
Total Pages556
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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