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________________ अधिकार - कर्तव्य और दण्ड एवं अपराध | ४०७ (५) सामाजिक प्रगति का सम्मान (Respect for Social Progress) यह कर्तव्य प्रगति से संबंधित है । मैकेन्जी ने इस कर्तव्य का स्पष्टी - करण करते हुए कहा है- "तुम अपने विशेष क्षेत्र में सम्पूर्ण हृदय, सम्पूर्ण आत्मा, सम्पूर्ण बल और सम्पूर्ण मन लगाकर परिश्रम करो। " इसका अभिप्राय है कि देश, समाज, राष्ट्र और विश्व की प्रगति तथा उन्नति में सहायक बनना प्रत्येक नैतिक व्यक्ति का कर्तव्य है । (६) प्रामाणिकता का सम्मान (Respect for Reliability) प्रामाणिकता व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण गुण है । इसका अभिप्राय है - वचन - पालकता | जो भी वचन दिया जाय उसका उसी रूप में पालन किया जाना चाहिए । रामायण की वह सूक्ति कितनी प्रसिद्ध है प्राण जायँ पर वचन न जाहीं । महान व्यक्तियों का यह विशिष्ट गुण होता है । सामान्य नैतिक व्यक्ति का भी कर्तव्य है कि वह स्वयं प्रामाणिक बने और प्रामाणिक व्यक्तियों का सम्मान करे, साथ ही अपने पुत्र-पुत्री आदि परिवारीजनों तथा इष्टमित्रों एवं सम्पर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों को भी प्रामाणिक बनने की प्रेरणा दे । प्रामाणिक व्यक्ति विश्वसनीय होता है और साथ ही नैतिक भी । . (७) स्वतन्त्रता का सम्मान ( Respect for Freedom) प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि दूसरों की स्वतन्त्रता का सम्मान करे । उसे दूसरों की प्रगति, उन्नति और विकास में सहायक बनन चाहिए | नीतिशास्त्र में स्वतन्त्रता का अभिप्राय राजनीति की अपेक्षा विस्तृत आयाम लिए हुए है । राजनीतिक स्वतन्त्रता तो केवल अन्य देशों की दासता से मुक्ति तक ही सीमित है तथा इसमें व्यक्ति के नागरिका Jain Education International १. उद्धृत जे० एन० सिन्हा : नीतिशास्त्र, पृ० २७४ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004083
Book TitleJain Nitishastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1988
Total Pages556
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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