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४०४ | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
- नीति की दृष्टि से व्यक्ति को न्यायपूर्ण तरीकों से उपार्जित सम्पत्ति के रक्षण का अधिकार है, न कि अनैतिक तरीकों से प्राप्त सम्पत्ति को। (६) स्वतन्त्रता का अधिकार (Right of Freedom)
- स्वतन्त्रता का अभिप्राय है--संकल्प की स्वतन्त्रता (freedom of will) । मानव को नैतिक आचरण के लिए संकल्प की स्वतन्त्रता अनिवार्य है। इसीलिए यह नीतिशास्त्र का मौलिक प्रत्यय माना गया है।
___ व्यक्ति किसी भी नैतिक आचरण का पहले मन में संकल्प करता है, यथा 'मैं सत्य बोलूंगा' और तदनुसार सत्य वचन बोलता है। यदि उसकी संकल्प की स्वतन्त्रता को स्वीकार न किया जाय तो नैतिक आचरण का प्रश्न ही नहीं है।
नीतिशास्त्र में स्वतन्त्रता के अधिकार का यही अभिप्राय है ।
स्वतन्त्रता के साथ ही नीतिशास्त्र में दायित्व का प्रत्यय भी जुड़ा हुआ है । व्यक्ति का कर्तव्य है कि अपने स्वतन्त्रता के अधिकार के साथसाथ अन्य लोगों की स्वतन्त्रता का भी सम्मान करे। अन्य किसी की स्वतन्त्रता में किसी भी प्रकार से बाधक न बने ।
लेकिन इसका भी एक अपवाद है । व्यक्ति किसी को समाजविरोधी अथवा अनैतिक आचरण करते देखकर उसे रोक सकता है, उसकी स्वच्छन्दता में बाधक बन सकता है और सदाचरण आदि की प्रेरणा दे सकता है। यथा माता-पिता-शिक्षक बालक की गलत प्रवृत्तियों पर रोक लगाकर उसे शिक्षा प्राप्ति के लिए, सदाचरण के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
इसी सिद्धान्त के अनुसार राज्य भी असामाजिक तत्वों की स्वतंत्रता का हनन कर लेता है।
नैतिक कर्तव्य
(Moral Duties) अधिकारों के साथ कर्तव्य भी जुड़े हुए हैं। जिस प्रकार मानव के कुछ नैतिक अधिकार हैं तो उसके कुछ कर्तव्य भी हैं। इन कर्तव्यों का पालन अनिवार्य है । प्रमुख कर्तव्य निम्न हैं(१) जीवन का सम्मान (Respect of Life)
जिस प्रकार मानव को जीने का अधिकार है उसी प्रकार उसका
१. भारतीय संविधान में जो नागरिकों के मौलिक अधिकार वर्णित किये गये हैं, उनमें से अधिकांश यही अधिकार हैं ।
-लेखक
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