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________________ नैतिक चरम | ३४३ किन्तु नीतिशास्त्र इस विषय में इतनी गहराई में नहीं जाता । ध्यान का वह इतना ही अभिप्राय मानता है कि मन स्थिर और शान्त रहे, तथा बुद्धि में नई-नई स्फुरणाएँ हों और यह स्थिति शुभत्व की ओर मन (mind) की स्थिरतापूर्वक लगनशीलता से प्राप्त होती है । ____ इस दृष्टि से, जैसाकि धर्मशास्त्रों, आचारशास्त्रों और यहां तक कि मनोवैज्ञानिकों (psychologists) द्वारा भी वर्णित है, ध्यान के दो भेद होते हैं-(१) दुर्ध्यान और (२) सुध्यान । नीतिशास्त्र भी इस धारणा से सहमत है । यहां सुध्यान को good attention और दुान को bad attention कहा जा सकता है। धर्मशास्त्रों में इन दोनों ध्यानों के दो-दो भेद और बताये गये हैं। दुनि के दो भेद हैं-(१) आर्तध्यान और (२) रौद्रध्यान । सुध्यान के दो भेद हैं-(१) धर्मध्यान और (२) शुक्लध्यान । तत्वार्थ सूत्र में सुध्यान को मोक्ष का हेतु कहा गया है। अन्य सभी आगम और आगमेतर जैन ग्रन्थों में भी यही विचार प्रगट किया गया है। साथ ही संसार में जितनी भी धर्म परम्पराएं प्रचलित हैं, सभी में सिद्धान्ततः इन्हीं विचारों की पुष्टि प्राप्त होती है। रौद्रध्यान-दान का निकृष्टतम रूप है। रौद्रध्यानी व्यक्ति के मस्तिष्क में हिंसा के, असत्य के, चोरी के और विषय भोगों तथा उनके साधनों के संरक्षण के विचार चलते रहते हैं। ऐसा व्यक्ति किसी को पीड़ित करके, झूठ बोलकर, किसी को उगकर, चोरी करके खुश होता है, हर्षित होता है, अपने को सफल मानता है। ऐसा व्यक्ति घोर अनैतिक होता है, नीति का उसे स्पर्श भी नहीं होता, उसके हृदय में हमेशा करता (cruelty) भरी रहती है। ऐसे कर व्यक्तियों की गणना घोर अनैतिक व्यक्तियों में की जाती है । (ख) आवश्यक नियुक्ति १४५६ , ६३, ६७, ६८, ६६, ७४, ७६, ७७, ७८, आदि गाथाएं। (ग) पातंजल : योगशास्त्र ३, २ आदि सूत्र । (घ) ध्यान शतक आदि ग्रन्थ 8. Ethics regards attention as to enhance the intelligence, rather say, creative intelligenee which can be attained by steady application of mind to good. -Wiiliam Geddie Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004083
Book TitleJain Nitishastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1988
Total Pages556
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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