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८. नीतिशास्त्र की प्रणालियाँ और शैलियाँ -
१३५-१४८ प्रणालियां और शैलियाँ १३५, नीतिशास्त्र की प्रणालियाँ १३५, दार्शनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों में अन्तर १३६, दार्शनिक प्रणाली १३७, वैज्ञानिक प्रणालियाँ १३७, नीतिशास्त्र की वादात्मक प्रणालियाँ १३६; समन्वयात्मक नैतिक प्रणाली १४१, नीतिशास्त्र की शैलियाँ १४२ । ६. नैतिक मान्यताएँ
१४६-१६१ नीतिशास्त्र का दार्शनिक आधार १५२, (१) हेतुवाद और फलवाद १५२ (२) आत्मा की अमरता १५३ (३) प्रगति की अनिवार्यता १५४, (४) ईश्वर की सत्ता १५५, ६ स्वतन्त्रेच्छा (इच्छा स्वातन्त्र्य) १५६, स्वतन्त्रता का तारतम्य १५८, सर्वोपरि
आधार १६१ । १०. नैतिक निर्णय
१६२-१८६ नैतिक निर्णय पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव १६३, व्यवहार के मनोवैज्ञानिक प्रेरणा तत्व १६५; जैन दर्शन का वर्गीकरण १६६, नैतिक विवेचन की प्रकृति १६७, संकल्प, चरित्र और आचरण १७१, नैतिक परिस्थिति का लक्षण १७४, सामाजिक रूढ़ियाँ १७४, प्रतिक्रिया : अन्य जनों का व्यवहार १७५, वैज्ञानिक प्रभाव १७६, तार्किक प्रभाव १७७, नैतिक निर्णय की विशेषताएँ १७७, निर्णयकर्ता १७८, हानिकारक प्रथाएँ १७६, जटिल परिस्थितियों में विवेकपूर्ण निर्णय १८२, कुछ कार्य नीति से परे भी १८४; उपसंहार १८६ ।
खंड २ जैन नीति के विभिन्न आयाम १८७-३७४
Part II Different Dimensions of Jaina Ethics १. जैन नीति का आधार : सम्यग्दर्शन
१८६-२०३ सम्यग्दर्शन का अर्थ १८९, मिथ्यात्व के भेद १६०, सम्यग्दर्शन का नीतिशास्त्रीय महत्व १९३, जैन धर्म में सम्यक्त्व का स्वरूप १६३, सम्यग्दर्शन का लक्षण १८४, नव तत्व १६६, जीव तत्व १६६,
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