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२५६ | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
प्रत्यय के साथ चाहे वह शुभ हो, शुद्ध हो अथवा आत्मस्वा तंत्र्य हो, उत्तरदायित्व का प्रत्यय जुड़ा हुआ है। अपने उत्तरदायित्व से पलायन करने वाला व्यक्ति कभी भी नैतिक नहीं हो सकता। __मार्गानुसारी व्यक्ति जो व्यावहारिक नीति का पालन करने वाला होता है, कभी भी अपने उत्तरदायित्व से भागता नहीं । सामाजिक, राष्ट्रीय आदि जितने भी उत्तरदायित्व हैं, उनका समुचित रूप से पालन करता है । परिवार के सभी सदस्यों के प्रति अपना कर्तव्य निभाता है, जो आश्रित हैं उनका पालन करता है, बच्चों को उचित शिक्षा दिलाता है, उनका पालनपोषण करता है, पत्नी का उचित सम्मान करता है, माता-पिता एवं वृद्धजनों की सेवा करता है, नौकर-चाकरों की जरूरतें पूरी करता है।
___इस प्रकार वह अपने सभी उत्तरदायित्वों का समुचित रूप से पालन करता हुआ नैतिक जीवन बिताता है । (२६) दीर्घदर्शिता
दीर्घदर्शिता का अभिप्राय है, भविष्य का विचार करके काम करने वाला । आचारांग सूत्र में साधक के लिए स्थान-स्थान पर 'परिणामदंसी, आयंकदंसी और अणोमदंसी' यह विशेषण आये हैं। परिणामदंसी का अभिप्राय है - प्रत्येक वस्तु की परिणति-परिणाम और उसके फल का विचार करना, आयंकदंसी का निहित अर्थ है-मेरे आचरण से कहीं मुझे कष्ट या आतंक तो नहीं होगा और अणोमदंसी अपनी विचारधारा को सदा ऊर्ध्वमुखी बनाये रखने की प्रेरणा है ।
यह तीनों ही गुण दीर्घदशिता के लिए आवश्यक है। मार्गानुसारी अपनी कोई भी वत्ति-प्रवृत्ति बिना भविष्य का विचार किये नहीं करता, क्योंकि
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछिताय । काम बिगारै आपुनो, जग में होत हसाय ।।
& Concept of responsibility is de facto underlying in every ethica! activity, be it go od, uliimate good, self-independence.
____Ethics of Morals. (quoted by Will Durant : Story of Philosophy) २ उद्धृत-साधना के सूत्र, युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी, पृष्ठ २८५
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