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नैतिक आरोहण का प्रथम चरण | २२६
का सबसे बड़ा दुर्गुण यह है कि शराबी प्रत्येक प्रकार का अपराध करता है, वह अपने होशो-हवास में नहीं रहता, अतः मार-पीट, दंगा-फसाद, चोरी, बलात्कार आदि सभी प्रकार के पाप कर सकता है, करता है ।
मदिरा से मतवाले मानव को उचित-अनुचित के विवेक की तो बात ही दूर रही, वह साधु-संन्यासियों-तपस्वियों का भी अपमान कर देता है। द्वारका जैसी समृद्ध नगरी के विनाश का कारण मदिरापान ही था । न यादव कुमार मदिरा के नशे में मतवाले होकर द्वीपायन ऋषि का अपमान करते, उन्हें पत्थर-ढेले मारते और न द्वीपायन ऋषि द्वारका भस्म करते ।
इसी प्रकार रोम और यूनान की शक्तिशाली सभ्यताएं मदिरा की भेंट चढ़ गईं । और भी कई देश मदिरा की तरल आग में भस्म हो गये । देश में आज हिंसा, आतंक, हत्या और लूट खसोट का जो भयावह त्रासदायी वातावरण बना हुआ है, उसका सबसे बड़ा मानसिक कारण शराब, मद्यपान है । प्रसिद्ध विचारक बेकन ने सच ही कहा है-संसार की समस्त सेनाएँ भी मानव-जाति को इतना नष्ट नहीं करती और न सम्पत्ति को बरबाद करती हैं, जितना कि मदिरापान नष्ट करता है और संपत्ति को बरबाद करता है।
मदिरापान घोर अनैतिक है। यह मानव का सभी प्रकार से पतन करता है । अपराध का जनक होने से यह समाजनीति, धर्मनीति आदि
(४) कार्य करने में उचित समय चूक जाना, (५) विद्वष उत्पन्न होना (६) ज्ञान का नाश (७) बुद्धि का नाश (८) स्मृति का नाश (६) सज्जनों से अलगाव (१०) वाणी में कठोरता (११) नोच पुरुषों की सेवा (१२) कुल की कीर्ति का नाश (१३) बल का नाश (१४-१५-१६) धर्म-अर्थ तथा काम की हानि ।
- हारिभद्रीय अष्टकटीका १. Habitual intoxication is the epitome of every crime.
-Gerrold. २. He, that is drunkard, qualified for all vices. -Quarles ३. त्रिषष्टि शलाकापुरुष चरित्र, नेमिनाथ चरियं, जैन महाभारत आदि 8. All the armies on earth do not destroy so many of the human
race, nor alienate human property as drunkenness. -Baeon
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