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________________ सम्यग्दर्शन का स्वरूप और नैतिक जीवन पर उसका प्रभाव | २०६ चरण की प्रेरणा देकर इनके कल्याण में निमित्त तो बन जाता है किन्तु स्वयं अपना कल्याण नहीं कर पाता । सम्यक्त्व की प्रभावना करना ही इसका लक्षण है। ____ यद्यपि सम्यक्त्व प्रत्यय ही नीति का आधार और प्रेरणाबिन्दु है; किन्तु कारक, रोचक और दीपक-इन तीन प्रकार के सम्यक्त्वों का नीति से सीधा सम्बन्ध है। कारक सम्यक्त्व वाले मानव पूर्णरूप से नैतिक होते हैं, इनका दृष्टिकोण भी यथार्थ होता है, ये शुभ और अशुभ को जानते हैं तथा शुभ का आचरण भी करते हैं। रोचक सम्यक्त्व वाले मानव यथार्थ को जानते हुए भी शुभ का आचरण नहीं कर पाते, उनको अपनी मानसिक दुर्बलताएँ इतनी प्रबल होती हैं जो नैतिकतापूर्ण व्यवहार करने ही नहीं देतीं। ऐसे मानवों का आचरण उनके निजी स्वार्थ के कारण अनैतिक भी हो जाता है । अतः इन व्यक्तियों को अनैतिक कहा जा सकता है, यह अशुभ का आचरण करते हैं। दीपक सम्यक्त्व ऐसे व्यक्तियों का उदाहरण पेश करता है जो दूसरों को तो उपदेश देते हैं, नीति और सदाचार की प्रेरणा देते हैं, लेकिन स्वयं सदाचरण का पालन नहीं कर सकते। - सन्त तुलसीदासजी के शब्दों में-पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचरहिं ते नर न घनेरे। . सम्यक्त्व के पाँच लक्षण किसी व्यक्ति को सम्यक्त्व है या नहीं, इसकी पहचान के लिए कुछ बाह्य लक्षण बताये गये हैं । नीतिशास्त्र की दृष्टि से, यह भी कहा जा सकता है कि व्यक्ति की आन्तरिक नैतिकता उसके बाह्य व्यवहार एवं आचरण में प्रगट होती है । उसी को दृष्टि में रखते हुए अन्य व्यक्ति उसके नैतिक होने अथवा न होने का निर्णय करते हैं । __आध्यात्मिक विज्ञान का अटल सिद्धान्त है कि आन्तरिक भावनाओं का बाह्य जीवन में प्रगटीकरण होता ही है । मनोविज्ञान भी इस सिद्धान्त से सहमत है । उसकी मान्यता है कि हृदयगत गुप्त मनोभाव व्यक्ति के जीवन व्यवहार में किसी न किसी रूप में अभिव्यक्त हो जाते हैं। जैन आगमों में सम्यक्त्व के पांच बाह्य लक्षण बताये हैं। (१) सम-प्राकृत के 'सम' शब्द के संस्कृत भाषाविदों ने तीन रूप Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004083
Book TitleJain Nitishastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1988
Total Pages556
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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