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नैतिक निर्णय | १७७
प्राप्त विशिष्ट साधन और ज्ञान का उपयोग भी करता ही है। इसी रूप में वैज्ञानिक अनुसन्धान उसके नैतिक निर्णय को प्रभावित करते हैं।
ताकिक
तर्क बुद्धि का कार्य है। बुद्धि ऊहापोह करने की क्षमता को कहा जाता है । सद्-असद्, शुभ-अशुभ, उचित-अनुचित आदि का निर्णय बुद्धि ही करती है । इस प्रकार नैतिक निर्णय में बुद्धि का विशेष हाथ रहता है।।
किन्तु मानव सिर्फ बुद्धि के आधार पर चलने वाला प्राणी नहीं है । उसमें संवेग, भावनाएँ, इच्छाएँ आदि भी होती हैं। उन इच्छाओं की प्रेरणा और मूल्य भी होता है । उन्हें संतुष्ट करना भी मानव के लिए अवश्यम्भावी है। अतः मानव का नैतिक निर्णय बुद्धि और संवेगों के समन्वय के आधार पर होता है। .
नैतिक निर्णय की विशेषताएं अन्य निर्णयों की अपेक्षा नैतिक निर्णयों की कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जो इनका पृथक स्वरूप निर्धारित करती हैं । ऐसी कुछ विशेषताएँ निम्न हैं -
(१) मूल्यात्मकता-अन्य प्रकार के निर्णय तथ्यात्मक होते हैं जैसे-सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है; किन्तु नैतिक निर्णय मूल्यात्मक होते हैं, यह व्यक्ति के चरित्र का मूल्यांकन करते हैं। उदाहरणार्थ-यह कहना कि अमुक व्यक्ति चरित्रवान है अथवा अमुक व्यक्ति दुश्चरित्र है, यह उन व्यक्तियों के चरित्र का मूल्यांकन है। संक्षेप में, नैतिक निर्णय किसी व्यक्ति अथवा कार्य की अच्छाई-बुराई का विश्लेषण करने वाली एक मानसिक क्रिया होती है। ..
... (२) नियामकता-नैतिक निर्णय नियामक, आदर्शात्मक अथवा आदेशात्मक होते हैं । आदर्श इस रूप में कि व्यक्ति निर्णय करते समय किसी भी प्रकार का आदर्श अपने मस्तिष्क में रखता है और उस आदर्श के अनुरूप क्रिया का आदेश अपने स्नायुतंत्र को देता है ।
म्यूरहैड के शब्दों में
यह आचरण पर निर्णय से सम्बन्धित है, यह निर्णय कि इस प्रकार का आचरण उचित है या अनुचित । .......वह न्यायात्मक निर्णय के
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