________________
नैतिक निर्णय | १७३
उसका आचरण कहलाता है । चरित्र और आचरण का भेद स्पष्ट करने के लिए ही चरित्र के लिए अंग्रेजी में Character और आचरण के लिए Conduct शब्द आते हैं ।
1
संकल्प, चरित्र और आचरण परस्पर एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं । संकल्प इच्छाओं आदि का नियन्त्रण और उनका मार्गान्तरीकरण करने वाली शक्ति है और साथ ही चरित्र का निर्माण करती है, और उसे प्रभावित करती है । चरित्र सुगठित मानसिक क्रिया है, यह मानव की आन्तरिक नैतिकता है और आचरण उस नैतिकता का प्रगट बाह्य रूप है । मानव की नैतिकता के लिए यह तीनों ही समान रूप से उत्तरदायी होते हैं । शुभ संकल्प से सुन्दर चरित्र का निर्माण होता है और सुन्दर चरित्र वाला व्यक्ति ही शुभ आचरण कर सकता है ।
भारतीय दर्शन की भाषा में इसे सत्यं शिवं सुन्दरं कहा जा सकता है । सत्संकल्प से ही कल्याणकारी चरित्र का निर्माण होगा और फिर जो भी आचरण होगा, शुभ होगा, सुन्दर होगा ।
यह सभी नैतिक निर्णयों को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक तत्व हैं। क्योंकि इन सभी का सीधा और गहरा सम्बन्ध मानव के मन-मस्तिष्क से है । ये मानव के अन्तरंग में उद्भूत होते हैं और उसके नैतिक निर्णयों प्रभावित करते हैं ।
1
परिस्थितियां और देश-काल की रूढ़ियां
नैतिक निर्णयों को प्रभावित करने वाले दूसरे तत्व हैं परिस्थितियाँ और सामाजिक रूढ़ियां ।
मानव का जीवन अत्यन्त जटिल है । प्रत्येक निर्णय करने में उसे जटिल संघर्ष मे गुजरना पड़ता है । एक ओर उसे उसकी स्वयं की इच्छाएँ, वासनाएँ और निजी स्वार्थ अपनी ओर खींचता है तो दूसरी ओर बुद्धि तर्क करती है, परार्थ जोर मारता है ।
यह स्वार्थ और परार्थ का संघर्ष ही ऐसी जटिल स्थिति उत्पन्न कर देता है जो उसके नैतिक निर्णय को प्रभावित कर देती है ।
संक्षेप में, नैतिक परिस्थिति वह विषम दशा है जिसमें व्यक्ति के सामने क्या करना उचित है और क्या नहीं करना उचित - इसका निर्णय उसे करना पड़ता है |
यह परिस्थिति कभी-कभी इतनी जटिल हो जाती है कि मानव मोह विमूढ़ होकर रह जाता है । ऐसी ही परिस्थिति महाभारत युद्ध के समय
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org