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नैतिक निर्णय | १७१ का योग है।
___ इस दृष्टि से अभिप्राय की सोमा बहुत विस्तृत है। जो कुछ हम सोचते हैं और जो कुछ हमारे विचार में न भी हो, वह सब अभिप्राय के अन्तर्गत आ जाता है।
बेन्थम ने अभिप्राय के अन्तर्गत उन कार्यों को भी परिगणित कर लिया है जो न चाहते हुए भी व्यक्ति को करने पड़ते हैं । उदाहरणार्थमाता-पिता बच्चे को दण्डित नहीं करना चाहते पर उसके सुधार के अभिप्राय से सजा देनी ही पड़ती है। __अभिप्राय में अभिप्रेरण अन्तर्निहित होता है, इसलिए यह दोनों परस्पर घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।
___ यह निश्चित है कि प्राणी मात्र का कोई भी कार्य बिना किसी अभिप्राय के नहीं होता । मनुष्य के तो सभी कार्य साभिप्राय होते हैं । अपराध शास्त्र का तो यह प्रमुख सिद्धान्त ही है
Find the motive and you will get the culprit
(अभिप्रेरण-अभिप्राय को जान लो तो तुम अपराधी को पकड़ लोगे ।)
नीतिशास्त्र में भी अभिप्राय का बहुत महत्व है। एक शब्द में कहा जाय तो यह नैतिकता का आधार बिन्दु है । डाक्टर को शल्य क्रिया करते हए रोगी के मर जाने पर भी उसे नैतिक कहा जाता है और कसाई को अनैतिक-इस निर्णय का आधार अभिप्राय ही है; परिणाम एक-सा होने पर भी डाक्टर नैतिक कहलाता है और कसाई घोर अनैतिक ।
संकल्प, चरित्र और आचरण नैतिक विवेचन में संकल्प, चरित्र और आचरण का विशेष महत्व है क्योंकि मानव के नैतिक जीवन में इन तीनों की बहुत ही अविस्मरणीय भूमिका है।
संकल्प (will) मानव की विशेष शक्ति है। यह पशुओं में नहीं पाई जाती। पशुओं के सभी कार्य मूलप्रवृत्तियों के आधार पर होते हैं, दूसरे शब्दों में उनकी प्रेरक मूलप्रवृत्तियां हैं। इसी कारण पशु न तो अपनी
1. Intention is the sum total of all positive and negative ideal forces acting upon the mind of agent.
-I. B. Sen Gupta
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