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१७० | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
का मूल्य वह सर्वाधिक समझता है, उसके पक्ष में निर्णय कर देता है। श्रीराम ने लोक भावना को सर्वाधिक महत्व दिया, अतः उन्होंने सीता को वनवास देकर अपनी इसी लोक भावना को सन्तुष्ट किया।
(५) चरित्र और आचरण-चरित्र इच्छा और आदतों का संगठन है तथा आचरण से व्यक्ति के ऐसे कार्यों से तात्पर्य होता है, जिनके आधार पर व्यक्ति की नैतिक दृष्टि से प्रशंसा या निन्दा की जाती है। ..
व्यक्ति का आचरण ही धीरे-धीरे उसके चरित्र के रूप में परिणत हो जाता है, चरित्र बन जाता है।
नैतिक निर्णय का आधार व्यक्ति की इच्छा-शक्ति, संकल्प-शक्ति और अभिलाषाओं की मूल्यवत्ता है । निर्णय के बाद मनुष्य उसको आचरण में लाता है, क्रियान्वयन करता है । _अच्छे कार्यों के आचरण से व्यक्ति का चरित्र अच्छा बनता है, वह नैतिक कहलाता है और अशुभ (बुरे) कार्यों को करने से उसका चारित्रिक पतन होता है तथा समाज उसे अनैतिक मानता है।
(६) अभिप्रेरणा और अभिप्राय--अभिप्रेरणा शब्द द्विअर्थी है । इसका प्रथम अर्थ है-व्यक्ति को काम करने के लिए उत्तेजित करने वाली दशा या शक्ति। दूसरा अर्थ है-वह शक्ति या अवस्था जो व्यक्ति को अमुक कार्य के लिए आकर्षित करे।।
अभिप्रेरणा को विद्युत शक्ति के उदाहरण से समझाया जा सकता है। विद्य त में प्रकाशत्व और चुम्बकत्व दोनों होते हैं। बल्ब में इसके प्रकाशत्व गुण की अभिव्यक्ति होती है और पंखे आदि में चुम्बकत्व गुण की।
विद्यार्थी के लिए विद्याध्ययन करने के लिए कालेज जाने हेतु उत्तजित करना तथा शिक्षा प्राप्ति के प्रति आकर्षित करना-दोनों ही शिक्षा की अभिप्रेरणा के कार्य हैं ।
नीतिशास्त्र में व्यक्ति इच्छा, भावना, आदर्श आदि का आकर्षण तथा तदनुरूप कार्य करने की उत्तेजना-दोनों ही अभिप्रेरण (Motivation) हैं।
सेन गुप्ता के शब्दों में अभिप्राय कर्ता के मस्तिष्क पर प्रभाव डालने वाली सभी निषेधात्मक और प्रतिषेधात्मक आदर्शात्मक शक्तियों
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