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नीतिशास्त्र की प्रकृति और अन्य विज्ञान | ८६ शास्त्र और नीतिशास्त्र में परस्पर घनिष्ट सम्बन्ध है । एक-दूसरे पर निर्भर ही कहे जा सकते हैं।
विचारकों ने इन्हें एक-दूसरे का पूरक कहा है। फिर भी इन दोनों में कुछ अन्तर विचारकों ने बताये हैं
(१) नीतिशास्त्र नियामक विज्ञान है; जबकि समाजशास्त्र विधायक विज्ञान है।
(२) समाजशास्त्र की अपेक्षा नीतिशास्त्र कम व्यावहारिक है। (३) इन दोनों के क्षत्र अलग-अलग हैं तथा विधियों में भी अन्तर है।
इन दोनों में विशेष अन्तर यह है कि समाजशास्त्र मनुष्य के बाह्यक्रिया-कलापों, व्यवहारों का ही अध्ययन करता है। जबकि नीतिशास्त्र व्यक्ति के आन्तरिक पक्ष पर भी बल देता है।
लेकिन भारतीय दृष्टिकोण से नीतिशास्त्र समाज की उन्नति और सुव्यवस्था के आदर्श निश्चित करने के कारण एक प्रकार से समाजशास्त्र या नियामक विज्ञान ही है । इसके बिना, जैसाकि पंचतंत्रकार ने कहा है, सुव्यवस्थित समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती।
नीतिशास्त्र और मनोविज्ञान (Ethics and Psychology) नीतिशास्त्र और मनोविज्ञान में कुछ समानताएँ हैं तो कुछ अन्तर भी हैं। मनोविज्ञान यथार्थवादी विज्ञान है । वह सिर्फ संकल्पों की अवस्थाओं, मानव की मूल प्रवृत्ति आदि का वर्णन करता है; जबकि नीतिशास्त्र यह बताता है कि मानव को किस प्रकार के संकल्प करने चाहिए । यह आदर्शवादी विज्ञान है ।
इन दोनों विज्ञानों के प्रकृति, क्षेत्र, दृष्टिकोण आदि में भी अन्तर है।
लेकिन मनोविज्ञान, एक प्रकार से, नीतिशास्त्र की पूर्वभूमिका तैयार करता है, वह बताता है कि मानव-मन में किस प्रकार के संकल्प उठते हैं और वे किन मूल प्रवृत्तियों से उद्भूत होते हैं तथा सामाजिक पर्यावरण एवं आनुवंशिकी से किस प्रकार प्रभावित होते हैं।
नीतिशास्त्र सामाजिक पर्यावरण, मानव-संकल्प एवं मूल-प्रवृत्तियों को सुधारात्मक रूप में नियमित करने के आदर्शों का निरूपण करता है। इन आदर्शों को तभी निर्धारित किया जा सकता है, जबकि मूल प्रवृत्ति और संकल्पों की प्रक्रिया का ज्ञान हो।
__ भारतीय दृष्टिकोण इस विषय में स्पष्ट है, वह कोरे यथार्थवाद को उचित नहीं मानता। भारतीय चिन्तन में मानवता का तकाजा यही है कि शुभ संकल्प ही किये जायें।
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