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________________ नीतिशास्त्र की परिभाषा | ७७ यो नीतिशास्त्र की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं । जितने विचारक उतने दृष्टिकोण और जितने दृष्टिकोण ( view points) उतनी ही परिभाषाएँ । इसे जैन शब्दावली में नय (viewpoint) विचारधारा अथवा विषयवस्तु को प्रगट करने का - प्रस्तुत करने का अपना-अपना तरीका कहना उपयुक्त होगा । किन्तु पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही प्रकार के मनीषियों की परिभाषाओं में एक तत्व सामान्य दृष्टिगोचर होता है, वह है-समाज की सुव्यवस्था / मर्यादा | प्राचीन काल से आज तक यह अर्थ सार्थक रहा है । यदि भारत के अध्यात्मपरक चिन्तन को अलग रखकर विचार किया जाय तो नीतिशास्त्र का यह सामान्य तत्व माना जा सकता है । अतः नीतिशास्त्र की आदर्श परिभाषा होगी - उन नियमों और उपनियमों का समूह जिनका पालन समाजगत और व्यक्तिगत सुव्यवस्था बनाए रखने में सक्षम हो तथा मानव की लौकिक और लोकोत्तर सभी प्रकार की उन्नति में सहायक बने । दूसरे शब्दों में, समाज को स्वस्थ एवं संतुलित पथ पर अग्रसर करने एवं व्यक्ति को प्रेय तथा श्रेय की उचित रीति से प्राप्ति कराने के लिए जिन विधि अथवा निषेधमूलक वैयक्तिक और सामाजिक नियमों का विधान देश, काल और पात्र के सन्दर्भ में किया जाता है, वह नीति है और उन नियमों का संकलन नीतिशास्त्र कहलाता है । भारतीय दृष्टिकोण पाश्चात्य विचारकों ने नीतिशास्त्र को नियामक विज्ञान के रूप में स्वीकार किया है और उस पर विविध दृष्टियों से चिन्तन किया है । उनकी यह विचारणा तटस्थ दृष्टि से रही है । इसीलिए पश्चिमी चिन्तन जगत में इस पहलू से दो शब्द मिलते हैं, Moralist और Moral Philosopher. Moral philosopher का अर्थ नीतिविज्ञानशास्त्री है और Moralist IT अभिप्राय है नैतिकतावादी । नीति- दार्शनिक का काम केवल नीतिसम्बन्धी चिन्तन संसार के सामने रख देना है, यह आवश्यक नहीं कि वह इन सिद्धान्तों का स्वयं भी पालन करे । लेकिन भारत में नीति का जीवन से / आचरण से घनिष्ठ सम्बन्ध विचारक जैसा भेद कभी मान्य ढोंग माना गया । यहाँ नीति रहा है । यहाँ नैतिकतावादी और नैतिक नहीं रहा, कथनी और करनी का भेद यहाँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004083
Book TitleJain Nitishastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1988
Total Pages556
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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