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नीतिशास्त्र की परिभाषा | ७३
रीति-रिवाजों का मानव के संस्कारों, मन (mind), व्यवहार आदि पर पूरा असर पड़ता है। जिन समाजों में मांस-भक्षण का प्रचलन होता है वहां मांस के प्रति घृणा नहीं पाई जाती है । इसके विपरीत जिन समाजों में मांस भक्षण का प्रचलन नहीं होता वहाँ घृणा पाई जाती है । यही स्थिति शराब, हिंसा, शिकार आदि के बारे में भी है। धर्म का व्यावहारिक पक्ष भी रीति-रिवाजों से प्रभावित होता है। अतः रीति-रिवाज मानव के जीवननिर्माण और चरित्र-निर्माण के एक महत्वपूर्ण आवश्यक अंग हैं ।
पाश्चात्य चिन्तकों की नीति सम्बन्धी परिभाषाएँ पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान का आदि स्रोत यूनान रहा है । प्रथम यूनानी विचारक प्लेटो है । उसने नीतिशास्त्र की परिभाषा इन शब्दों में दी है
"नैतिकता, सभी का प्रभावशाली समन्वय है।"
यहाँ 'सभी' का अभिप्राय मानव की विभिन्न रुचियों, प्रवृत्तियों, समाज के सभी उच्च, नोच वर्ग तथा समाज में प्रचलित सभी रीतिरिवाजों से है।
इस परिभाषा में 'समन्वय' पर बल दिया गया है ।
प्लेटो की नीति सम्बन्धी एक और परिभाषा न्याय के सम्बन्ध में है। वह कहता है. "नीतिशास्त्र न्याय का विवेचन मात्र है ।"2
किन्तु न्याय क्या है ? यह प्राचीन युग से आज तक एक पेचीदा प्रश्न रहा है । न्याय की कोई स्पष्ट परिभाषा निश्चित नहीं की जा सकी है। परिभाषाए सतत बदलती रही हैं। फिर 'न्याय का विवेचन'-यह और भी अस्पष्ट है।
सोफिस्टवादी (Sophist) थे सीमेकस (Thrasymachus) ने कहा है कि "न्याय शक्तिशाली के हितों का साधन मात्र है।" वह आगे तर्क देता
1 Will Durant : The Story of Philosophy, p. 40. 2 In The Republic justice is called the health of the soul and ethics are described as inquiry into justice.
-Erdmann : A History of Philosophy
(Eng. translation) Vol. I p. 121 -उद्धृत---संगमलाल पाण्डेय : नीतिशास्त्र का सर्वेक्षण, पृ. ३
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