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________________ प्रतः मानव-स्वभाव के बारे में निश्चित रूप से किसी सिद्धान्त या नियम को घटित नहीं कर सकते, जिसके आधार पर उसके भविष्य के आचरण के बारे में निश्चित रूप से निर्णय दिया जा सके। विवाद का मूल :प्रेरणा--दोनों ही सिद्धान्तों के मुख्य विवाद का प्रश्न यह है कि क्या दृढ़तापूर्वक कह सकते हैं कि मनुष्य का भावी आचरण कैसा होगा ? क्या उसके कर्म का स्वरूप पूर्वनिर्धारित है ? नियतिवादियों का उत्तर स्वीकारात्मक है और अनियतिवादियों का उत्तर नकारात्मक । नियतिवादियों के अनुसार मनुष्य का आचरण उसी प्रकार पूर्व-निर्धारित है जिस प्रकार की भौतिक घटनाएँ-वे आचरणवादियों की भाँति मनुष्य को प्रयोगशाला की वस्तु समझते हैं। विश्लेषण द्वारा उसके सम्यक व्यक्तित्व को मानसिक और भौतिक प्रकृति के अंशों में बांटकर उसके आचरण के बारे में प्रामाणिक भविष्य-- वाणी करने का दावा करते हैं । अनियतिवादियों को इसके विपरीत मनुष्य के सम्यक व्यक्तित्व में ज्वार-भाटे उठते दिखायी देते हैं, वे उसके कर्मों को आवेग-. पूर्ण और प्रेरणाहीन कहते हैं; उसकी संकल्प-शक्ति को उस रहस्यमयी शक्ति की भाँति देखते हैं जिसका स्वरूप कर्म करने के पूर्व तक बिलकूल अनिश्चित और अज्ञेय रहता है। इस अर्थ में मनुष्य का भावी आचरण पूर्वनिश्चित नहीं है। इन दोनों सिद्धान्तों के प्रतिवादों के मूल में 'प्रेरणा' है। इन दोनों ने ही प्रेरणा को विभिन्न अर्थों में समझा है। इच्छा, प्रेरणा, संकल्प-शक्ति तथा आत्मा के सम्बन्ध को बाह्य लिया है अथवा निर्णीत कर्म के निर्माणात्मक अंगों को असम्बद्ध माना है। वे भूल गये कि वे एक ही इकाई के अभिन्न अंग तथा एक ही सत्य के विभिन्न रूप हैं। निर्णीत कर्म का विश्लेषण बताता है कि प्रबल इच्छा या प्रेरणा वह इच्छित ध्येय है जिसकी प्राप्ति के लिए प्रात्मा प्रयास करती है। संकल्प-शक्ति अपने आन्तरिक रूप में प्रात्मा अथवा भावना और इच्छा है तथा बाह्य रूप में प्राचरण है। नियतिवादी इस तथ्य को भूलते हुएसे प्रेरणा और संकल्प-शक्ति के सम्बन्ध को बाह्य लेते हैं। वे कहते हैं कि संकल्प-शक्ति स्वतन्त्र नहीं है क्योंकि वह प्रेरणा के अनुरूप कर्म करती है और प्रेरणा प्रात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है। इसी प्रकार अनियतिवादी कहते हैं कि संकल्प-शक्ति स्वतन्त्र है क्योंकि यह इच्छा, आत्मा और चरित्र से प्रभावित नहीं होती है। इच्छा और संकल्प-शक्ति को भिन्न मानना भ्रमपूर्ण है। संकल्प-शक्ति" इच्छा पर निर्भर है और इच्छा का सम्बन्ध चरित्र और आत्मा से है। इस अर्थ संकल्प-शक्ति की स्वतन्त्रता | ६१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004082
Book TitleNitishastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShanti Joshi
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year1979
Total Pages372
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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