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क्रम
विषय
२३ बारह आयतन का वर्णन
२४ प्रमाण का सामान्यलक्षण तथा
प्रामाण्यवाद
२५ बौद्धमत में प्रत्यक्ष और अनुमान दोंप्रमाण
२६ दो प्रमाण से अतिरिक्त प्रमाणों का निषेध
२७ प्रत्यक्ष प्रमाण का लक्षण
२८ प्रत्यक्ष प्रमाण के चार भेद
षड्दर्शन समुच्चय, भाग-२ (८-६०८)
श्लोक नं. पृ. नं.
(८)
५४
३९ अढारहधातु
४० विषयगत वर्गीकरण
२९ अनुमान प्रमाण का लक्षण
३० हेतु के पक्षधर्मतादि तीन रुप
(११)
३१ मूलग्रंथकार श्री ने नहीं कहा हुआ कुछ (११) विशेषवर्णन
३३ बौद्धदर्शन का उपसंहार
३४ बौद्धदर्शन के विशेषार्थ का प्रारंभ
३५ वैभाषिक मत की मान्यता
३६ धर्मो का वर्गीकरण
३७ विषयीगण विभाजन
३८ पंचस्कन्ध-बार आयतन
४१ संस्कृत धर्मों के ७५ भेद
४२ असंस्कृत धर्म
४३ सौत्रान्तिकमत
४४ सौत्रान्तिकमतानुसार धर्मो का
३२ बौद्धदर्शन के वैभाषिक आदि भेदो की (११)
आंशिक मान्यता
(८)
(९)
(९)
(१०)
(१०)
(१०)
४६ विज्ञान के प्रभेद
४७ आलयविज्ञान का स्वरूप
४८ योगाचारमतानुसार पदार्थ समीक्षा
४९ सत्तामीमांसा
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वर्गीकरण
४५ योगाचार (विज्ञानवादि) की मान्यता
(१२)
५६
६०
६३
६८
७०
७६
७८
८२
८३
८४
८६
८६
८७
८७
८७
८८
८८
८९
९१
९३
९५
९६
९८
१००
१०१
१०२
क्रम
विषय
५० माध्यमिक (शून्यवाद) की मान्यता
५१ ज्ञानमीमांसा
५२ सत्ता परीक्षा
५३ कारणतावाद
५४ स्वभाव परीक्षा
५५ द्रव्य परीक्षा
५६ जाति
५७ संसर्ग विचार
५८ गति परीक्षा
५९ आत्मपरीक्षा
६० कर्मफल परीक्षा
श्लोक नं. पू. नं..
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१०७
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१०८
१०९
१०९
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११५
११५
११६
११६
११७
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६१ ज्ञान परीक्षा
६२ सत्ता परीक्षा
६३ संवृत्ति के दो प्रकार
६४ परमार्थ सत्य
६५ व्यवहार की उपयोगिता
६६ शून्यता
६७ शून्यता का उपयोग
६८ शून्यता का लक्षण
६९ शून्यवाद की सिद्धि
के ७० शून्यता प्रकार
७१ सत्ता के प्रश्न को लेकर बौद्धदर्शन
के चार संप्रदाय
७२ हीनयान और महायान की निर्वाण
के विषय में मान्यता
७३ निर्वाण और संसार के विषय में
चार मतो की विशेषता
७४ बौद्धमत में काल विषयक मान्यता
७५ सम्मितीय संप्रदाय के सिद्धांत
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