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________________ षड्दर्शन समुच्चय भाग-१, परिशिष्ट-७, दार्शनिक-पारिभाषिक शब्द-सूची अर्हन् [अ] अकर्ता अकाम अकिंचित्कर अकिंचित्करत्व अकौरुष अक्रियावादी अक्ष अक्षज अक्षपाद अखरविषाण अगस्ति अगस्त्य अगृहीतार्थग्राहक अगरुधूप अगोरसव्रत अग्नि अग्निदग्धपाषाणखण्डिका अग्निहोत्र अङ्कर अङ्गना अचित्तमहास्कन्ध अचेतन अजहद्वृत्ति अजीव अतीत अतीन्द्रिय अतीन्द्रियार्थज्ञान अत्यन्ताभाव अद्य अधर्म अधर्मास्तिकाय अधर्मद्रव्य अधिक परिशिष्ट - ७ दार्शनिक-पारिभाषिक शब्द-सूची अधिकरण सिद्धान्त | अनेकान्तात्मकता | अप्राप्ति (समा) अध्यात्मवादी अनेकान्तशासन अबला अर्हन्त अडित्थ अनेकान्तरूप हेतु अबाधितविषय अलाबु अण्डक अनेकार्थनाममाला अब्राह्मण अलोक अथर्व अनैकान्तिक अभव्य अलोकाकाश अदृष्टार्थकल्पना अन्त्यज अभव्यसंसार अवकर अध्यक्ष अन्तरिक्ष अभयतिलकोपाध्याय अवक्षेप अनन्तधर्म अन्तर्गडु अभाव अव्यक्तव्य अनन्तधर्मात्मकता अन्तराय अभावप्रमाण अवगत अनन्तधर्मात्मकवस्तु अन्तःकरण अभिनिबोध अवग्रह अननुभाषण अन्न अभेदप्रतिभास अवगाह अनवगत अन्यथानुपपत्ति अभ्रान्त अवधिदर्शन अनवस्था अन्ययोगव्यवच्छेद अभ्यञ्जन अवयव अनागत अन्योन्याभाव अभ्युपगतसिद्धान्त अवयवावयवि अनादि पारिणामिक अन्वय अम्बर अवर्ण्य (समा) अनाद्यनन्त अन्वयदृष्टान्त अम्भोरुह अवाच्यत्व अनित्य अन्वयव्यतिरेकि अयस्पिण्ड अवाय अनिल अपकर्ष (समा) अयुतसिद्ध अविकृति अनुत्तर विमान अपचय अयोगिप्रत्यक्ष अविगान अनुत्पत्ति (समा) अपथ्य अरूपित्व अविद्या अनुपलब्धि अपरत्व अर्चट अविरति अनुप्रेक्षा अपरसामान्य अर्चिमार्ग अविसंवाद अनुभयहेतु अपवर्ग अर्चिमार्गानुग अविशेषसमा अनुभाग अपसिद्धान्त अर्चिमार्गविरुद्ध- अविज्ञातार्थ अनुभागबन्ध अपान ___धूममार्गानुगामी अवैशद्य अनुमान अपारमार्थिक अव्यक्त अनुवृत्ति अपार्थकम् अर्थान्तरं अव्यपदेश्य अनुश्रेणि अपुण्य अर्थापत्ति (समा) अव्यभिचारि अनुष्ठान अपौरुषेय अर्थापत्तिसाध्य अशुभकर्मबन्धहेतु अनेकान्त अप् अर्थोपलब्धि अशोक अनेकान्तजयपताका अप्काय अर्थोपलब्धि अश्वमेघ अनेकान्तप्रघट्टक अप्रतिभा अर्धजरती अष्टसहस्री अनेकान्तप्रवेश अप्राप्तकाल अछूतृतीयद्वीप अष्टादशशीलाङ्गधारी अनेकान्तमत अप्रसिद्ध अस्तित्व अर्थ अर्श Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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