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________________ ५६६ षड्दर्शन समुच्चय भाग-१, परिशिष्ट-७, दार्शनिक-पारिभाषिक शब्द-सूची अस्तित्वसंबन्ध अस्तेय असंकर असत्प्रतिपक्ष असत्त्व असाता ईहा ऋक् कर्म असिद्ध असिद्धत्व असुरभि असूया अस्ताचल अस्तिकाय अहंकार अहमधिक अहमद्धिक अहिंसा अहि अहेतु (समा) अत्रि अज्ञान [आ] आकाश आकाशगुण आकाशद्रव्य आकिञ्चन्य आकुञ्चन आगम आचाराङ्ग आतप आत्मगुण आत्मसिद्धि आत्मा आत्मादिद्रव्य आत्मवादी आत्मसंवेदन आत्यन्तिक आत्यन्तिकवियोग आदर्श | आदाननिक्षेप ईश्वरदेवता आदित्य ईश्वरप्रत्यक्ष आधाराधेय ईश्वरबुद्धि आधिदैविक ईश्वरवादी आधिभौतिक आनन्द [] आप्तपरीक्षा उत्कर्ष (सम) आप्त उत्कर्षापकर्षसमा आमलकी उत्कुरुडिका आम्ल उत्क्षेप आयुर्वेद उत्क्षेपण आयु आदि बाह्य प्राण| उत्क्षेप्य आराम उच्छवास आर्यसत्य उत्तरप्रकृति आर्हत उत्तरबन्ध आसुरि उत्तरमीमांसावादी आस्तिकवाद उत्पादव्ययध्रौव्य आस्रव उत्सर्ग आश्रयदोष उदयाचल आश्रयासिद्ध उदयन आहोपुरुषिका उदीरणा आत्रेयतन्त्र उद्वेग आज्ञानिक उद्योत आज्ञासिद्ध उद्योतकर [ ] उपचारच्छल इन्द्रजाल उपनय इन्द्रियसंनिकर्ष उपपत्ति (समा) इन्द्रियार्थसंनिकर्ष उपमान इलापुत्र उपमेय इषुकारनर उपरम इष्टापूर्ति उपल [ई] उपलब्धि (समा) उपवास ईर्यापथ उपस्थ ईशान उपायोपेय उभयहेतु ईश्वर ईश्वरकृष्ण उलूक कपिलमत [ऊ] कमण्डलु कमलशील [ऋ] कर्कादि कर्तृत्वानुपपत्ति ऋतुविभाग ऋषभ कर्मग्रन्थ [ए] कर्मत्व एकदण्डा कलल एरण्डयन्त्रपेडा कल्प एषणा कल्पनापोढ [ऐ] कवलाहार ऐतिह्य कषाय ऐन्द्रियकत्व कषायादिसङ्ग ऐन्द्रियप्रत्यक्ष ककुच्छन्द | ऐश्वर्य क्रमभावीधर्म ऐषम काकतालीय [ओ] काञ्चन ओष्ठ काण्ठेवि कान्तार औदारिक कापालिक औलूक्य कापिल औंबेक काम [क] कायक्लेश कञ्चकसंयोगकल्प कायाकारपरिणाम कञ्चुकि कायोत्सर्गकरण कट कारणानुपलब्धि कारणानुपलम्भ कठिन कारणानुमान कठोर कारीष कडि कार्यकारणभाव कणाद कार्यानुमान कण्टक कार्यसमा कण्ठ कार्यहेतु कण्ठेरेखात्रयाङ्कितसर्वज्ञ | काल कन्दली कालद्रव्य कपिल कालमुख कपिलाण्ड कालवचन कटु ईश्वर उरः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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