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क्रम
विषय
श्लोक नं.
५१९ संवर का स्वरुप और उसके ५७ प्रकार
५२० पाँच समिति
तीन गुप्ति १२२ परिषह
दस यतिधर्म
बारह भावना
पाँच चारित्र
५२१ निर्जरा तत्त्व और उसका स्वरुप
- छ: प्रकार का बाह्यतप
छ प्रकार का अभ्यंतर तप
१० प्रकार का प्रायश्चित्त
- ७ प्रकार का विनय
१० प्रकार से वैयावृत्य
- ५ प्रकार से स्वाध्याय
-
षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम
- ध्यान के चार प्रकार
-
- कायोत्सर्ग
५२२ बन्ध तत्त्व और उसके चार भेद
- कर्म के स्वभाव
५२३ मोक्ष तत्त्व और उसका स्वरुप
-
भव्य सम्यक्त्व संज्ञी आहारी मार्गणायें
५२४ मार्गणाओं में मोक्ष की प्ररूपणा ५२५ (२-३) द्रव्य प्रमाण और क्षेत्र अनुयोगद्वार ५२६ (४-५-६) स्पर्शना, काल और अन्तर अनुयोगद्वार
५२७ (७-८) भाग और भाव अनुयोगद्वार औपशमिकादि पाँच भाव और
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प्र. नं.
विषय
१०३७
उसके पेटा भेद
१०३७
(९) अल्प- बहुत्व द्वार
१०३७ ५२८ नवतत्त्व को जानने का प्रयोजन.
सत्पद प्ररूपणा
- चौद मार्गणायें और उसके ६२ भेदों मूल
के संक्षिप्त अर्थ
१०५१
गति मार्गणा
१०५१
जाति-काय योग वेद- कषाय ज्ञान मार्गणायें १०५१
- संयम-दर्शन लेश्या मार्गणायें
१०५२ १०५३
१०५०
१०५०
१०३८ ५२९ सम्यक्त्व मिलने से होनेवाला लाभ
१०४०
१०४१
१०४२
१०४४
१०४४
१०४५
१०४५ ५३५ नय का सामान्यलक्षण
१०४५
नयवाक्य का लक्षण
१०४६
प्रमाणवाक्य का लक्षण
१०४६
सकलादेश का स्वरुप
१०४६
- विकलादेश का स्वरुप
-
१०४८
१०४८
१०४९
क्रम
१०५५
१०५६
५३० पुद्गल परावर्तन क्या है ?
५३१ सूक्ष्म क्षेत्रपुद्गल परावर्त का स्वरूप
५३२ सिद्ध के १५ भेद
५३३ परिशिष्ट - २ स्याद्वाद
५३४ परिशिष्ट- ३ नयवाद
-
-
५३६ नय का विशेष स्वरुप
५३७नय के मुख्यभेद
५३८ द्रव्यार्थिक नय का लक्षण
५३९ पर्यायार्थिक नय का लक्षण
५४० द्रव्य का लक्षण
५४१ द्रव्य के छः प्रकार
श्लोक नं.
५४२ द्रव्य का स्वाभाविक एवं
वैभाविक पर्याय
५४३ द्रव्य का सामान्य एवं विशेष स्वभाव ५४४द्रव्य के दस सामान्य गुण एवं
१०५४
सोलह विशेषगुण
१०५५ ५४५ द्रव्यार्थिक नय के प्रकार
५४६ पर्यायार्थिक नय के प्रकार
५४७नय के सात प्रकार
५४८ (१) नैगमनय का स्वरूप
• नैगमनय की मान्यता
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१०३
पू. नं.. १०५७
१०५७
१०५८
१०५८
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१०६३
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