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षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम
(७४)
(७५)
क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं. | क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं.. ४६९ वेदांत दर्शन की आंशिक रुपरेखा (६७) ९७२ | ४९४ काम यही परम धर्म (८६) १००८ ४७०मीमांसकदर्शन में देव का अभाव (६८) ९७३ | ४९५ चार्वाकमत का उपसंहार (८७) १००९ ४७१ अतीन्द्रियपदार्थो का ज्ञान वेदवाक्य से(६९) ९७६ | भाग-२, परिशिष्ट विभाग ४७२ वेदवाक्य की दृढता-वेद पाठ के
परिशिष्ट-१ - जैनदर्शन का विशेषार्थ उपर भार
(७०) ९७८ | |४९६ जैनदर्शन का विशेषार्थः
१०१२ ४७३धर्म का लक्षण
(७१) ९७८ ४९७ जीव के चौदह प्रकार और उसका स्वरुप १०१२ ४७४प्रमाण का सामान्य लक्षण
|४९८ जीव के लक्षण ४७५ प्रमाण की संख्या
___ ज्ञान-दर्शन-चरित्र-तप-वीर्य-उपयोग १०१३ ४७६प्रत्यक्ष प्रमाण का लक्षण
|४९९ संसारी जीवो की पर्याप्तियाँ
१०१६ ४७७अनुमान प्रमाण का लक्षण (७४) ९८ | ५०० पर्याप्ति के ४ भेद
१०१६ ४७८ शाब्द-उपमान प्रमाण का लक्षण ।
| ५०१ १० प्राण
१०१८ ४७९ अर्थापत्ति प्रमाण का लक्षण
५०२ अजीव के चौदह भेद
१०१९ ४८० अभाव प्रमाण का स्वरुप (७६)
| ५०३ पांच अजीव और उसके स्वभाव १०२१
१०२२ ४८१ अभाव प्रमाण के तीन रुप
|५०४ द्रव्यो में द्रव्यादि छ संख्या मागणा (७६)
१०२२ ४८२ अभाव के चार प्रकार
५०५ पुद्गल के शब्दादि परिणाम (७६)
१०२३
५०६ शब्द-अंधकार आदि की पुद्गल रुपता ४८३ मूलग्रंथकार के द्वारा नहीं कहा
५०७ पुद्गल के स्वाभाविक और गया कुछ विशेष
(७६) वैभाविक परिणाम
१०२४ ४८४मीमांसक मत का उपसंहार
(७७) १ |५०८ काल का स्वरुप
१०२४ ४८५ मतांतर से पांच आस्तिकदर्शन (७८) ९९७
|५०९ काल का विशेष स्वरुप
१०२४ ४८६मतांतर से छ: दर्शन
- व्यवहारकाल ____ लोकायत दर्शन
- निश्चयकाल
१०२४ ४८७नास्तिक का स्वरूप (७९) ९९८ | ५१० छः द्रव्यो का विशेष विचार
१०२७ ४८८ नास्तिक मत में जीवादि का निषेध (८०) ९९९ | ५११ पुण्य तत्त्व
१०२८ ४८९ प्रत्यक्ष विषय ही वस्तु (८१) १००० | ५१२ पुण्य के ४२ प्रकार
१०२९ ४९० परोक्ष के विषय में स्त्री को
५१३ पाप तत्त्व और उसके ८२ भेद पति का उपदेश
(८२) १००४ | ५१४ आश्रव तत्त्व और उसके ४२ प्रकार १०३३ ४९१ प्रमेय और प्रमाण (८३) १००५ | ५१५ पाँच - इन्द्रियाँ
१०३३ ४९२ चारभूत से देह की उत्पत्ति-देह
५१६ चार कषाय में चैतन्य की उत्पत्ति (८४) १००६ | ५१७ पाँच अव्रत
१०३३ ४९३ परोक्ष अर्थ में प्रवृत्ति का निषेध (८५) १००८ |५१८ २५ क्रिया
१०३४
१०२४
१०३१
१०३३
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