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________________ १०४ षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम ११२५ क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं. | क्रम विषय . श्लोक नं. पृ. नं.. - नगैमनय के तीन उदाहरण १०७८ ५६१ ज्ञाननय - क्रियानय - ११०९ - नैगमनय के भिन्न-भिन्न प्रकार १०७९ | आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दोनों - नैगमनय को अभिमत चार निक्षेप १०८२ | नयों की विचारणा ११०९ ५४९(२) संग्रहनय का स्वरुप १०८४ |५६२ नयों के न्यूनाधिक विषयों का विचार ११११ - संग्रहनय की मान्यता १०८५ /५६३ नयवाक्य पर आश्रित सप्तभङ्गी १११६ - संग्रहनय के प्रकार |५६४ नयाभासों (दुर्नयों) का निरुपण १११८ ५५०(३) व्यवहारनय का स्वरुप १०८८ - द्रव्यार्थिकाभास १११८ -- व्यवहारनय की मान्यता १०८८ - पर्यायार्थिकाभास १११८ - नैगमाभास १११८ ५५१ (४) ऋजुसूत्रनय का स्वरुप १०९१ - संग्रहाभास १११९ -- ऋजुसूत्रनय की मान्यता १०९१ - व्यवहाराभास - ऋजुसूत्रनय द्रव्यार्थिक नय है या ११२१ पर्यायार्थिक नय है ? उसकी चर्चा १०९३ - ऋजुसूत्राभास ११२३ - द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक नय की मान्यता १०९५ - शब्दाभास - समभिरुढाभास ११२६ - अनुयोगद्वार सूत्र का विरोध और - एवंभूताभास ११२६ उसका परिहार १०९६ ५६५ अर्थादि आभास ११२७ ५५२ ऋजुसूत्रनय के प्रकार १०९८ परिशिष्ट-४ सप्तभंगी ५५३(५) शब्दनय का स्वरूप १०९९ ११२८ ५५४ शब्द और ऋजुसूत्र नय में मान्यताभेद |५६६ सप्तभंगी ५६७ सात भङ्ग की उत्पत्ति का रहस्य ११२८ ५५५ भावनिक्षेप की ही स्वीकृति ११०० ५६८ प्रथम भंग का स्वरुप ११३० ५५६(६) समभिरुढ नय का स्वरुप ११०१ |५६९ द्वितीय भंग का स्वरुप - शब्द और समभिरूढ नय ___- असत्त्व धर्म की तात्त्विकता ११३३ में मान्यताभेद ११०२ | ५७० तृतीय भंग का स्वरुप ११३५ ५५७ (७) एवंभूतनय का स्वरूप ११०३ ५७१ चतुर्थ भंग का स्वरुप ११३६ - एवंभूत नय की मान्यता ११०४ | ५७२ पंचम, षष्ठ एवं सप्तम - भावनिक्षेप की ही स्वीकृति ११०५ भंग का स्वरूप ११३९ - एवंभूत एवं समभिरूढ में मान्यताभेद ११०५ ५७३ एकांत सप्तभंगी स्याद्वाद की ११०७ समर्थक नहीं है ११४० ५५८ अर्थनय - शब्दनय के भेद ११०७ - प्रथम भंग के एकान्त का खंडन ११४० ५५९ अर्पित-अनर्पित नय का स्वरुप ११०८ - द्वितीय भंग के एकान्त का खंडन ११४० ५६० व्यवहार - निश्चयनय का स्वरुप ११०८ - तृतीय भंग के एकान्त का खंडन ११४० ११०० ११३२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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