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षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम
११२५
क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं. | क्रम विषय . श्लोक नं. पृ. नं.. - नगैमनय के तीन उदाहरण १०७८ ५६१ ज्ञाननय - क्रियानय -
११०९ - नैगमनय के भिन्न-भिन्न प्रकार १०७९ | आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दोनों - नैगमनय को अभिमत चार निक्षेप १०८२ | नयों की विचारणा
११०९ ५४९(२) संग्रहनय का स्वरुप १०८४ |५६२ नयों के न्यूनाधिक विषयों का विचार ११११ - संग्रहनय की मान्यता
१०८५ /५६३ नयवाक्य पर आश्रित सप्तभङ्गी १११६ - संग्रहनय के प्रकार
|५६४ नयाभासों (दुर्नयों) का निरुपण १११८ ५५०(३) व्यवहारनय का स्वरुप
१०८८ - द्रव्यार्थिकाभास
१११८ -- व्यवहारनय की मान्यता
१०८८ - पर्यायार्थिकाभास
१११८ - नैगमाभास
१११८ ५५१ (४) ऋजुसूत्रनय का स्वरुप
१०९१ - संग्रहाभास
१११९ -- ऋजुसूत्रनय की मान्यता
१०९१
- व्यवहाराभास - ऋजुसूत्रनय द्रव्यार्थिक नय है या
११२१ पर्यायार्थिक नय है ? उसकी चर्चा १०९३
- ऋजुसूत्राभास
११२३ - द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक नय की मान्यता १०९५
- शब्दाभास - समभिरुढाभास
११२६ - अनुयोगद्वार सूत्र का विरोध और
- एवंभूताभास
११२६ उसका परिहार
१०९६ ५६५ अर्थादि आभास
११२७ ५५२ ऋजुसूत्रनय के प्रकार
१०९८
परिशिष्ट-४ सप्तभंगी ५५३(५) शब्दनय का स्वरूप १०९९
११२८ ५५४ शब्द और ऋजुसूत्र नय में मान्यताभेद
|५६६ सप्तभंगी
५६७ सात भङ्ग की उत्पत्ति का रहस्य ११२८ ५५५ भावनिक्षेप की ही स्वीकृति
११०० ५६८ प्रथम भंग का स्वरुप
११३० ५५६(६) समभिरुढ नय का स्वरुप ११०१
|५६९ द्वितीय भंग का स्वरुप - शब्द और समभिरूढ नय
___- असत्त्व धर्म की तात्त्विकता ११३३ में मान्यताभेद
११०२ | ५७० तृतीय भंग का स्वरुप
११३५ ५५७ (७) एवंभूतनय का स्वरूप
११०३ ५७१ चतुर्थ भंग का स्वरुप
११३६ - एवंभूत नय की मान्यता
११०४
| ५७२ पंचम, षष्ठ एवं सप्तम - भावनिक्षेप की ही स्वीकृति
११०५ भंग का स्वरूप
११३९ - एवंभूत एवं समभिरूढ में मान्यताभेद ११०५
५७३ एकांत सप्तभंगी स्याद्वाद की ११०७ समर्थक नहीं है
११४० ५५८ अर्थनय - शब्दनय के भेद
११०७
- प्रथम भंग के एकान्त का खंडन ११४० ५५९ अर्पित-अनर्पित नय का स्वरुप ११०८ - द्वितीय भंग के एकान्त का खंडन ११४० ५६० व्यवहार - निश्चयनय का स्वरुप
११०८
- तृतीय भंग के एकान्त का खंडन ११४०
११००
११३२
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