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धर्म संबंधी विचार-विमर्श में सूक्ष्म-बुद्धि की आवश्यकता
७१ द्रव्य-संबंधी अनौचित्य हो सकता है, क्षेत्र-संबंधी (= स्थान-संबंधी) अनौचित्य हो सकता है, काल संबंधी अनौचित्य हो सकता है, भाव-संबंधी अनौचित्य हो सकता है) ।
(टिप्पणी) 'द्रव्य', 'क्षेत्र', 'काल' तथा 'भाव' इन चार शब्दों में से 'क्षेत्र' तथा 'काल' का अर्थस्पष्ट है । 'द्रव्य' तथा 'भाव' ये दो शब्द जैनपरंपरा में पारिभाषिक है, जहाँ 'द्रव्य' से आशय एक स्थायी पदार्थ से तथा 'भाव' से आशय इस पदार्थ की क्षण-क्षण बदलने वाली अवस्थाओं से है। प्रस्तुत प्रसंग में 'द्रव्य का अर्थ होना चाहिए दान-पात्र व्यक्ति अथवा दान में दी जाने वाली वस्तु जबकि भाव का अर्थ होना चाहिए इस व्यक्ति की अथवा इस वस्तु की कोई अवस्था विशेष ।
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